रांची (विष्णु पांडेय)। झारखंड में कृषि शुल्क विधेयक का विरोध तेज हो गया है। हजारीबाग के व्यवसायियों ने शनिवार को बैठक की एवं कृषि शुल्क विधेयक के विरोध में होने वाले आंदोलन की रूपरेखा के बारे में चर्चा की गई। बैठक में यह तय किया गया कि फेडरेशन ऑफ चैंबर ऑफ कॉमर्स रांची द्वारा आर्हुत बैठक दिनांक 8 फरवरी बुधवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रख कर बैठक में भाग लेंगे और आगे की रूपरेखा तय करेंगे। वहीं सोमवार को हजारीबाग के व्यवसायी काला बिल्ला और अपने अपने दुकानों में काला झंडा लगाकर इस विधेयक का विरोध करेंगे। बैठक में हजारीबाग के 40 व्यवसायियों ने अध्यक्ष ओम प्रकाश अग्रवाल एवं अरुण साव सचिव के नेतृत्व में शामिल हुए।
अब जानिए क्यों हो रहा इसका विरोध
कृषि शुल्क वसूले जाने से बढ़ेगी महंगाईः व्यवसायिक संघ के मीडिया प्रभारी विजय जैन ने बताया कि अन्य राज्य से आयातित वस्तुओं पर अधिकतम स्लैब में कृषि शुल्क लगाया जा रहा और बाजार समिति में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है। अन्य राज्य से आयातित वस्तुओं पर अधिकतम स्लैब में कृषि शुल्क लगाए जाने से महंगाई भी बढ़ जाएगी।
विवादों में रहा है कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022
झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 विवादों में रहा है। व्यापारी वर्ग लगातार इसके विरोध में शुरू से अभियान चला रहे हैं। राज्यपाल रमेश बैस ने शीतकालीन सत्र से पहले झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में बने विधेयक की कॉपी में अंतर पाते हुए वापस कर दिया था। विधानसभा से पारित इस विधेयक के कानून बनने से कृषि उपज पर दो फीसदी कृषि बाजार समिति टैक्स लगना है। बजट सत्र में सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के बाद मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था। राज्यपाल की आपत्ति के बाद सरकार ने फिर से संशोधन के पश्चात शीतकालीन सत्र में पास कराकर राजभवन को मंजूरी के लिए भेजा है। अब राज्यपाल द्वारा इस विधेयक को मंजूरी मिल जाने के बाद मुद्दा अभी गरमा गया गया।
व्यवपारियों के भयादोहन का भी शक: कृषि बाजार समिति
कृषि बाजार समिति ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि कृषि बिल के विधानसभा में पारित होने के पश्चात पूरे प्रदेश में 2 प्रतिशत खाद्यानों की कीमत बढ़ जाएगी जिसके कारण पूरे प्रदेश में खाद्यान में 2 % कीमतों में उछाल आ जाएगा जिसकी मार आम जनता पर ही पड़ेगी तथा व्यापारियों के भयादोहन का भी शक है। उन्होंने आग्रह किया कि कृषि बिल को पुनः समीक्षा करके इसे वापस ले।
यह जानकारी व्यवसायिक संघ के मीडिया प्रभारी विजय जैन ने दी।
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