रांची (विष्णु पांडेय)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने शनिवार को झारखंड के साहिबगंज से पार्टी के ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान को शुरू करते हुए बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने संसद की कार्यवाही से हटाए गए उनके भाषण के अंशों को लेकर भी मोदी सरकार पर निशाना साधा और जोर देकर पूछा कि बोलने की आजादी कहां है? खरगे ने कहा कि संसद के बाहर या भीतर भी बोलने की आजादी नहीं है। अगर कोई सच बोलता, लिखता या दिखाता है तो उसे जेल भेज दिया जाता है।
क्या कहा मल्लिकार्जुन खरगे ने?
कांग्रेस अध्यक्ष ने जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी और कारोबारियों के कथित संबंधों को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा। अपने भाषण के एक हिस्से में खरगे ने कहा, ”बीजेपी हमेशा झूठ बोलती है, ये झूठों के सरदार हैं सब। ये फैक्ट बोल रहे, मैं नहीं बोल रहा हूं। मैं यहीं नहीं बोल रहा हूं, मैं पार्लियामेंट में भी बोला। मैं जब बोलता हूं तब हमारा जो कहने का मकसद गरीबों के बारे में हो, देश के बारे में हो, जब हम कहते हैं तो हमारे पूरे शब्दों को निकाल देते हैं। पूरे का पूरा.. मैंने कुछ नहीं कहा था.”
‘फ्रीडम ऑफ स्पीच कहां है?’
खरगे ने आगे कहा, ”मैंने बोला मोदी साब आप मौनी बाबा हो तो फौरन चेयरमैन ने उसको निकाला, अरे मौनी बाबा पार्लियामेंट में पहले उन्होंने बोला। वाजपेयी जी ने हमारे नरसिंह राव जी को बोला। ये बीजेपी के लोग मनमोहन सिंह जी को बोले मौनी बाबा। अगर मैं मौनी बाबा राज्यसभा में कहता हूं तो वो निकाला जाता है। तो कहां है.. बोलने की आजादी कहां है? अरे पार्लियामेंट में भी नहीं, पार्लियामेंट के बाहर भी नहीं, अगर कोई सच्चाई बोलता है, कोई सच्चाई लिखता है, कोई सच्चाई दिखाता है तो उसको ये लोग जेल भेजते हैं। ऐसी सरकार होनी चाहिए?” खरगे ने इसी के साथ महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी मोदी सरकार को घेरा।
अब जानते है क्या है विवाद
बता दें कि हाल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अडानी मुद्दे पर बीजेपी को संसद में घेरा, जिसके बाद हंगामा देखने को मिला। संसद की कार्यवाही से राहुल गांधी और खरगे के भाषण के कुछ अंशों को स्पीकर की अनुमति के बाद हटा दिया गया। वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के भाषण के कुछ अंशों को भी रिकॉर्ड में नहीं रखा गया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखकर हटाए गए अंशों को रिकॉर्ड में फिर से शामिल करने का आग्रह कर चुके हैं।
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