रांची, (हि. स.)। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जीवन सादगी और स्वच्छता का प्रतीक था। स्वच्छता का तात्पर्य बाहरी स्वच्छता के साथ आंतरिक स्वच्छता से भी है। महात्मा गांधी का मानना था कि स्वस्थ समाज के लिए स्वच्छ वातावरण आवश्यक है। यह संदेश जन-जन तक पहुंचे, इसके लिए प्रधानमंत्री ने इस अभियान का शुभारंभ किया है।
राज्यपाल रविवार को रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित ‘स्वच्छता ही सेवा, एक तारीख-एक घंटा श्रमदान’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वच्छता के प्रति अन्य को प्रेरित करने के साथ सदैव स्वयं के जीवन में भी अंगीकृत किया। उन्होंने स्वच्छता के साथ अपरिग्रह का भी संदेश दिया था। अपरिग्रह से हमारा अंतःकरण स्वच्छ होता है। उनका मानना था कि व्यक्ति की इच्छाएं असीम और अनंत है। इसपर नियंत्रण रखने के लिए और शांतिपूर्वक जीवन जीने के लिए अपरिग्रह का होना आवश्यक है। अपरिग्रह में स्वयं का श्रम के साथ-साथ समाज के प्रति निष्काम कर्म का भाव निहित है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान के कारण ही आज हमारे रेलवे स्टेशन पूरी तरह स्वच्छ रहते हैं। ट्रेन में बायो टॉयलेट के कारण स्वच्छता को बढ़ावा मिला है। इस अभियान के कारण हम अपने परिवेश को साफ रखने के लिए प्रेरित हुए हैं और विकास के लिए सकारात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों की सरहाना की तथा सभी को स्वच्छता के लिए शपथ भी दिलाई।
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