जशपुर, ऑफबीट संवाददाता। जशपुर जिले में पहाड़ी कोरवा परिवार ने फांसी लगाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली है। पति-पत्नी और 2 बच्चों समेत 4 लोगों की लाश फांसी पर लटकी हुई मिली है। ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दे दी है। बगीचा थाना क्षेत्र के सामरबार झुमराडुमर गांव की घटना बताई जा रही है।
बगीचा थाना पुलिस के मुताबिक, ग्रामीणों से मिली सूचना पर पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई है। फिलहाल आत्महत्या की वजहों का खुलासा नहीं हो पाया है। पुलिस ने घटनास्थल की जांच कर सभी लाशों को फंदे से उतार लिया है। मर्ग कायम कर शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए रवाना किया गया। पुलिस आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ कर रही है। मौके पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट की भी टीम मौजूद है। बता दें कि पहाड़ी कोरवा एक संरक्षित जनजाति है, जिन्हें राष्ट्रपति ने गोद लिया है।
मृतकों का नाम राजुराम कोरवा, भिनसारी बाई, बेटी देवंती और एक साल का बेटा देवन है। मृतकों के नाम राजू राम (35 वर्ष), भिन्सारिन बाई (22 वर्ष), देवंती (3 वर्ष), देवन साय (1 वर्ष) है। पुलिस ने बताया कि चारों ने 1 अप्रैल की रात को आत्महत्या की है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें भी नहीं पता कि कब पूरे परिवार ने सुसाइड कर लिया। उन्होंने बताया कि आत्महत्या की वजह का पता उन्हें नहीं है।
2 दिन पहले महुआ बीनकर आया था परिवार
इधर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। बताया जा रहा है कि 2 दिन पहले परिवार के लोग महुआ बीनकर आए थे, वे दूसरे गांव गए हुए थे। कई दिनों से महुआ बीनने के लिए वे अपने गांव से बाहर थे, इसलिए गांववालों को भी ज्यादा जानकारी नहीं है।
भाजपा ने जांच टीम गठित की
इस पूरे मामले में अब भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने जांच टीम गठित कर दी है। इस टीम में जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनी भगत की अध्यक्षता में जिला पंचायत सदस्य गेंदबिहारी राम, सावन राम, केशव यादव एवं पंडरापाठ महामंत्री देवलाल भगत शामिल हैं। ये सभी घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने बताया कि घटना के कारण को पता लगाने के लिए यह जांच टीम उनके परिजनों से मुलाकात करेगी।
बीजेपी जांच टीम के सदस्य और सामरबहार गांव के ही रहने वाले जिला पंचायत सदस्य गेंद बिहारी ने बताया कि पहाड़ी कोरवा परिवार को शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा था। वह दो दिन पहले अपने मामा के गांव जो बागीचा के निचले इलाके में है, वहां महुआ बीनने के लिए गया हुआ था। वापस आने के बाद परिवार की किसी से मुलाकात नहीं हुई थी, इसलिए आत्महत्या की वजह ग्रामीणों को पता नहीं है।
गांव के सरपंच गुप्तेश्वर ऐदगे जो खुद भी कोरवा जनजाति से आते हैं, उन्होंने बताया कि मृतक के परिवार का राशन कार्ड बना था और वो मनरेगा में मजदूरी भी करता था। परिवार वनोपज की बिक्री से भी लाभान्वित होता था। महुआ बीनने को लेकर छोटे-मोटे विवाद की जानकारी मिली है, लेकिन कोई बड़ी बात सामने नहीं आई है।
घटनास्थल पर पहुंचे कलेक्टर
कलेक्टर रवि मित्तल भी सामरबार झुमराडुमर गांव पहुंचे। वे मृतक के छोटे भाई से बातचीत कर आत्महत्या के कारणों की वजह जानने की कोशिश कर रहे हैं। गांव में उसका छोटा भाई मौजूद है, जो किसी बड़े किसान के खेत की रखवाली करने के लिए गया हुआ था।
वहीं मृतक के माता-पिता की मौत हो चुकी है। कलेक्टर ने पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है। परिवार को मिला था पक्का मकान मृत पहाड़ी कोरवा परिवार को पक्का मकान और राशन कार्ड भी मिला हुआ था। उनके पास आयुष्मान कार्ड भी था, घर में बिजली की सुविधा भी थी। परिवार खेती भी करता था।
जिला प्रशासन ने परिवार के लिए अंत्योदय राशन कार्ड बनाकर दिया था, साथ ही मनरेगा के तहत जॉब कार्ड भी बना हुआ था। काम करने के एवज में मजदूरी का भुगतान भी किया गया है। 19 मार्च 2023 को शासकीय उचित मूल्य की दुकान से 35 किलो चावल, 2 किलो नमक, 2 किलो चना और 1 किलो शक्कर भी दिया गया है। परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है। मकान बनकर तैयार है। एसडीएम बगीचा आरपी चौहान ने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों का आयुष्मान कार्ड बनाया गया था। बच्चे कुपोषित नहीं हैं, उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र से रेडी टू ईट भी नियमित मिलता था। मृतक राजूराम के पास मकान पक्का और बिजली की सुविधा भी थी।
छत्तीसगढ़ की संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा प्रदेश के उत्तर-पूर्व और उत्तर में स्थित जिलों में पाई जाती है। यह जनजाति सरगुजा, बलरामपुर और जशपुर जिलों के घने जंगलों में रहती है। छत्तीसगढ़ में कुल 42 जनजातियां पाई जाती हैं। जिनमें से 7 को राज्य सरकार ने विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया है। इन्हीं जनजातियों में से एक पहाड़ी कोरवा जनजाति भी है।
ये भी पढ़िए…