रामानुजगंज/बलरामपुर अनिल गुप्ता: महीनों से इस बात की चिंता जताते हुए ऑफबीट ने यह मुद्दा लगातार समाचार के माध्यम से उठा रहा था कि कन्हर नदी के एनीकट का पानी गेट से लिक हो रहा है. इस संबंध में क्षेत्र के सामान्य प्रशासन के अनुविभागीय अधिकारी गौतम सिंह ने भी विभाग को पत्र लिखकर उसके पश्चात फोन पर बातचीत कर एनीकट के गेट से हो रहे लीकेज को रोकने के लिए अधिकारियों से बात की थी पर अधिकारी ने रायपुर में होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया परंतु कनहर नदी जो रामानुजगंज सहित झारखंड प्रदेश के लोगों की प्यास बुझाती है साथ ही साथ पालतू पशु पक्षी एवं जंगली जानवर भी इसी नदी के पानी पर निर्भर थे. परंतु पानी की लीकेज होने की बात जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को समझ में ही नहीं आई. जब नदी का पानी सूख गया तब जल संसाधन विभाग के अधिकारी चिर निद्रा से जागे हैं.
इसी क्रम में सोमवार के करीब 2.45 बजे जल संसाधन की टीम कन्हर नदी के एनीकट पर पहुंची और एनीकट के रिसाव को बंद करने के लिए जरूरी सामान लेकर कार्य में लग गई. इस संबंध में जब जल संसाधन विभाग के कर्मियों से पूछा गया कि आज कैसे आप लोग जाग गए तो उन्होंने कहा अंबिकापुर से साहब ने कहा तो हम लोग एनीकट से पानी के रिसाव को बंद करने की व्यवस्था लेकर आए हैं साथ ही गेट में जो खराबी होगी उसे भी दुरुस्त किया जाएगा.
देर से जागे अधिकारी, सूख गया नदी का पानी
एक पुरानी कहावत है अब पश्चात होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत. यही कहावत आज हमारे क्षेत्र के तमाम अधिकारियों और झारखंड प्रदेश के लोगों को समझ में आ रही है. कल तक बेफिक्री के अंदाज में सोते हुए लोग यह सोच रहे थे की जो होगा देखा जाएगा. हमको क्या पड़ी है, पर अब जब कन्हर नदी का पानी पूरा सूख गया तब सभी लोग जागे और लीकेज ठीक करने के लिए भागे भागे आये लेकिन प्रशन अब ये उठता है कि जो इस नदी पर निर्भर थे उनका क्या होगा. पशु पक्षियों की प्यास इस चिलचिलाती धुप में कौन बुझाएगा. वक़्त रहते इसे ठीक करवा लिया जाता तो नदी का पानी नहीं सूखता लेकिन कान ने रुई डालकर सोए अधिकारियों को इससे क्या मतलब. उनको सिर्फ महीने का सैलरी बस मिलना चाहिए भले ही काम हो या न हो.
पेयजल के लिए अध्यक्ष ने शुरू किया काम
नगर पंचायत अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने कल ही इस बात की चिंता की थी कि नगर के लोगों को पेयजल की कोई समस्या नहीं होने देंगे. इसी क्रम में उन्होंने तत्काल जेसीबी लगाकर कन्हर नदी के बीचो-बीच कुआं खुदाई का काम चालू कर दिया. दूसरी ओर झारखंड प्रदेश के गोदरमाना के मुखिया शंभू ने भी अपना प्रयास करते हुए 2 जेसीबी लगाकर बचे हुए जल स्रोतों को रोकने के लिए बालू का बांध बनाना प्रारंभ कर दिया ताकि किसी प्रकार की पेयजल समस्या एवं पालतू मवेशी एवं पक्षियों को पानी मिल सके.
नगर के लोगों की प्यास बुझाने वाली कन्हर आज खुद है प्यासी
जो नदी नगर के लोगों का प्यास बुझती थी आज वो खुद सुख गई है. रामानुजगंज के लोगों के लिए जल संकट उत्पन्न होने वाला है. आस पास के क्षेत्रों में जितने भी मवेशी रहते थे इस नदी पर ही निर्भर थे. नदी के सूख जाने के बाद अब न जाने उन पशु पक्षियों का इस चिलचिलाती में क्या होगा.
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