कोडरमा। रमता जोगी बहता पानी के कहावत के अनुसार झुमरीतिलैया में जन्मे अखिलेश भैया 14 वर्षों बाद जैन मुनि 108 प्रांजल सागर जी महाराज बनकर अपने दीक्षा गुरु आचार्य श्री 108 विनिश्चय सागर जी महामुनिराज के साथ संघ सहित झुमरीतिलैया की धर्म नगरी में मंगल आगमन हुआ। भक्त जनों में कोडरमा के गौरव जो 14 वर्षो के बाद जन्म नगरी में आने की खुशी से मन हर्ष से पुलकित हुआ।
जैन समाज के सैकड़ो पुरुष, बच्चे, महिलाएं के साथ युवा श्वेत ओर केशरिया पारंपरिक परिधान में गुरुदेव की अगवानी के लिए पहुंचे। विभिन्न चौराहे पर मोदी समाज, बंगाली समाज, माहुरी समाज, पंजाबी समाज, अग्रवाल समाज ने गुरुदेव के चरण पखारे ओर आरती की।
इस शोभायात्रा में गुरुदेव के साथ सैकड़ों भक्त, ताशा पार्टी, बैंड बाजा, जैन स्कूल बच्चों का बैंड, महिलाओं की कलश यात्रा, जैन धर्म का ध्वज और जैन धर्म के जयकारों के साथ पूरे शहर में भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बन गया। सभी एक ही जयकारा लगा रहे थे कि हर मां का लाल कैसा हो प्रांजल सागर जैसा हो आदि नारा लगा कर शहर को गुंजायमान कर दिया।
साथ ही छोटे ग्रुप बनाकर महिलाएं तरह तरह के स्लोगन ले कर स्वागत किया। साथ ही महिला बालिकाएं डांडिया नृत्य के साथ हाथ में गैस के गुब्बारे के साथ महिलाएं हाथ में जैन धर्म का झंडा लेकर अपनी भक्ति को प्रदर्शित कर रहे थे। गुरुदेव नगर भर्मण कर बड़ा मंदिर स्टेशन रोड पहुंचे जहां पर सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों ने गुरुदेव के चरणों को धोया और अपने माथे पर लगाया। मुनि श्री ने मूलनायक 1008 श्री पारस नाथ भगवान के दर्शन कर धर्मसभा को संबोधित किया।
अमृतमय प्रवचन मे गुरुदेव ने कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यवहार को बदलना होगा। व्यक्ति अच्छाइयों का खजाना होता है लेकिन अपने दिमाग को खराब कार्यों में ज्यादा लगता है। इस कारण उसकी अच्छाई और योग्यता नजर नहीं आती है। वृक्ष यदि सूख रहा है तो पत्तों को नहीं जड़ों को देखने की आवश्यकता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में समाज, महिला समाज, जैन युवक समिति के साथ सभी भक्तों ने अपना योगदान दिया। यह जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी जैन राजकुमार अजमेरा और नवीन जैन ने दी।
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