नई दिल्ली। नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले के यांग्त्से में घुसपैठ करने आए चीन के सैनिकों को उम्मीद नहीं थी कि उनके दो सौ से ज्यादा जवानों को कुछ ही घंटे में कई सौ भारतीय जवानों का सामना करना पड़ेगा। यह इसलिए संभव हुआ कि भारत ने पिछले एक दशक में पूरे राज्य में सड़कों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है। भारत ने भूटान की सीमा से सटे तवांग से लेकर अपर सियांग व दाबांग वैली से होते हुए डोंग-हवाई तक दो हजार किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग बनाने का काम शुरू कर दिया है। इससे चीन की किसी भी हरकत को और करारा जवाब दिया जा सकेगा।
सूत्रों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले तक चीन के सैनिक कई बार अपनी मर्जी से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करते हुए भारतीय सीमा में प्रवेश करते थे और फिर अपनी मर्जी से ही लौट जाते थे। लेकिन अब यह संभव नहीं है। यही वजह है कि पहले चीन के सैनिक चार-पांच की टुकड़ी में प्रवेश करते थे लेकिन अब वो 50-100 या इससे भी ज्यादा संख्या में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि अब उन्हें बड़े भारतीय दल का सामना करना पड़ेगा।
चंद घंटों में भारी सैनिकों की तैनाती संभव
बता दें कि पूरे राज्य के किसी भी हिस्से में भारत अब कुछ समय के भीतर चीनी सैनिकों की संख्या के बराबर या उनसे ज्यादा सैनिक एकत्रित करने में सक्षम है। मैकमोहन लाइन के पास बनाए जा रहे फ्रंटियर हाईवे के बाद भारत की क्षमता और बढ़ जाएगी। इसकी अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि चीन ने एलएसी के पास अपने हिस्से में जो नए गांव बनाए हैं, उनकी निगरानी भी सीधे तौर पर भारत अब कर सकेगा।
पुल, टनल और रोड बनाने पर जोर
इस बड़ी परियोजना के अलावा भी भारत सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में पुल, टनल व संपर्क मार्गों का निर्माण बड़े पैमाने पर कर रहा है। भारत की तरफ से हो रहे निर्माण कार्य को लेकर चीन पूर्व में भी कई बार आपत्ति जता चुका है। केंद्र सरकार ने नवंबर के शुरुआत में पूर्वोत्तर राज्यों में 1.60 लाख करोड़ की लागत से सड़कों व ढांचागत सुविधाओं के निर्माण का ऐलान किया था। इसमें से 44 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं सिर्फ अरुणाचल प्रदेश में लगाई जाने वाली हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ढांचागत परियोजनाओं को विकसित करने का फैसला भारत को चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखकर ही करना पड़ा है। वर्ष 2017 में डोकलाम प्रकरण के बाद से ही भारत को इस बात की आशंका रही है कि चीन पूर्वी एलएसी पर ज्यादा गड़बड़ी फैलाएगा।
चीनी हरकत की पहले से थी आशंका
सूत्रों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन की तरफ से गड़बड़ी करने की आशंका भारत को पहले से ही थी। सितंबर में जब चीन की तरफ से पूर्वी लद्दाख से अपने सैनिकों को वापस हटाने का फैसला किया गया तब भी भारत की तरफ से उस पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दिखाई गई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन व भारतीय सैनिकों की वापसी को एलएसी पर एक समस्या के कम होने के तौर पर बताया था। दूसरी तरफ, चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे दोनों देशों के बीच मौजूदा सैन्य तनाव को खत्म करने के तौर पर बताया था।