हजारीबाग। कोडरमा जिला क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव अरुण सूद ने बताया टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच में 10 विकेट की बुरी हार का कमोवेश बीसीसीआई के सेलेक्टरों पर प्रश्नचिह्न लगाता है। भारत में प्रतिवर्ष होने वाले विख्यात आईपीएल के माध्यम से इतने युवा खिलाड़ी मिलते हैं, जिनका सदुपयोग न कर बुजुर्ग खिलाड़ियों को टीम का हिस्सा बना कर क्यों रखा जाता है। वहीं टी-20 में क्षेत्ररक्षण के दौरान उनकी शारीरिक क्षमता कम है।
भारतीय क्रिकेट टीम में कुछ बड़े बदलाव की आवश्यकता है। ऐसे बुजुर्ग खिलाड़ी जिनका प्रदर्शन लगातार सम्मानजनक नहीं रहा या फिर उनकी बढ़ती उम्र बेहतर प्रदर्शन में आड़े आ रही है, तो उन्हें स्वयं संन्यास ले लेना चाहिए। टीम बनाने से पूर्व सेलेक्टर को चाहिए की टीम का हिस्सा, वही खिलाड़ी हों जिन्होंने फिजिकल टेस्ट पास किया हो। चूंकि टी-20 खेल में क्षेत्र रक्षण अत्यधिक महत्व रखता है। पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को ले लीजिए इसमें तकरीबन सभी खिलाड़ी युवा हैं, जिनका क्षेत्ररक्षण उम्दा भी है।
भारतीय कप्तान रह चुके महेंद्र सिंह धोनी ने इतने उदाहरण पेश किए हैं कि किसी भी बुजुर्ग खिलाड़ियों ने कुछ सीखा नहीं। भविष्य में बीसीसीआई को इस पर विशेष ध्यान देना होगा। टी-20 की टीम में डिजर्व कर रहे खिलाड़ियों को स्थान मिले ताकि हम भारतवासियों की भावनाओं से खिलवाड़ ना हो सके।