रायपुर। नकारात्मकता या खराब स्थिति से निकलना चुनौतीपूर्ण होता है। दुख हो या सुख, जीवन का मतलब आगे बढ़ते रहना होता है। इन सबमें अपनों का सहयोग मिल जाए तो कोई भी बड़ा मुकाम प्राप्त कर सकता है। यह कहना है डा. भारवि वैष्णव का। सीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पढ़ाई करते हुए वहीं रिसेप्शन में काम किया फिर प्रतिभा के दम पर आज वे ग्रुप के अलग-अलग शहरों के चार संस्थान का प्रबंधन संभाल रही हैं। डा. भारवि वैष्णव इससे पहले रिश्ता टूटने के कारण आठ माह तक डिप्रेशन में रही। इससे उबरकर उन्होंने बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन की दिशा में कार्य करना शुरू किया।
डॉ. भारवि ने बताया- अवसाद के समय मेरे अंदर नकारात्मकता आ गई थी। मां सुशीला वैष्णव ने मेरा हौसला बढ़ाया। मां के कहने पर सीजी कॉलेज ऑफ नर्सिंग में इलेक्ट्रो होम्योपैथिक कोर्स में दाखिला लिया। अंतिम वर्ष में कॉलेज के रिसेप्शन में काम करना शुरू किया। आज इस ग्रुप का प्रबंधन देख रही हूं। साथ ही गुरु डा. नवीन बागरेचा के मार्गदर्शन में रुद्री दिव्यांग स्कूल, धमतरी के साथ दिव्यांगों की पढ़ाई, भारतीय स्त्री शक्ति संस्था के साथ बेटियों और महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वावलंबन की दिशा में लगातार कार्यरत हूं।
अभनपुर की रहने वाली भारवि वैष्णव ने बताया- 12वीं की पढ़ाई करने के बाद मैं सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाने लगी। वहां मुझे संस्कार केंद्र से जुड़ने का मौका मिला। गरीब तबके के जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे, उन्हें संस्कार केंद्र के माध्यम से शिक्षा देती थी। उनकी प्रतिभा को बढ़ाने के लिए स्पर्धा भी आयोजित करवाई। ट्यूशन पढ़ाया और घर में पार्लर भी चलाया। पांच वर्ष तक शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने के बाद 2011 में शादी हुई, लेकिन चार माह बाद ही रिश्ता टूट गया।
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