बलरामपुर, अनिल गुप्ता। रामानुजगंज थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक अतुल दुबे ने कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना की मिशाल पेश की है। अतुल एक वर्ष पूर्व लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी। जिसके बाद अतुल की जीवनसंगिनी ने लीवर दान देकर अतुल की जान बचाई। लिवर ट्रांसप्लांट के महज कुछ माह बाद ही अपनी ड्यूटी में तैनात हो गए।
विपरीत परिस्थियों में भी नहीं मानी हार
दरअसल बीते वर्ष अतुल दुबे लिवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित थे। जब परिवारवालों को पता चला कि अतुल की लिवर पूर्णतः खराब हो गई है। तब मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। इस परिस्थिति में भी अतुल ने हिम्मत न हारते हुए अदम्य साहस का परिचय दिया। फिर लिवर ट्रांसप्लांट के लिए राजी हुए। ऐसी स्थिति में अतुल को पत्नी का सहारा मिला, अपनी लिवर दान देकर अतुल की जिंदगी बचाई।
दो राज्यों के डॉक्टरों ने दिया था जवाब
जब अतुल को लिवर की बीमारी का पता चला तब रायपुर से लेकर झारखंड के रांची तक सभी डॉक्टरों के पास गए। सभी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। इसके बाद भी अतुल ने हिम्मत नहीं हारी। हैदराबाद के एक अस्पताल में इनका लिवर ट्रांसप्लांट हुआ।
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद कई बार स्वास्थ संबंधित परेशानी आई लेकिन अपने कर्तव्यों से डिगे नहीं। अतुल कहते है धैर्य एवं हिम्मत से व्यक्ति काम ले तो किसी भी स्थिति में उभर सकता है।
पास्को एक्ट के आरोपी को पकड़ने के दौरान हो गया था सीने में दर्द
पास्को एक्ट के मामले में आरोपी को पकड़ने के लिए कई किलोमीटर अतुल ने दौड़ लगाई थी। आरोपी तो पकड़ा गया लेकिन उनके सीने में दर्द हो गया था लिवर ट्रांसप्लांट के बाद कई प्रकार की सावधानियां बरतनी पड़ती है परंतु कर्तव्य के आगे अतुल ने अपनी जान की बाजी लगा दी।