कोडरमा, (अरुण सूद)। श्री हंस योग साधना केंद्र, झुमरी तिलैया में 19 नवंबर को विश्व शांति दूत डॉ. प्रेम रावत के आगमन पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। केंद्र परिसर उनके स्वागत के नारों से गूंजता रहा और श्रद्धालुओं में उत्साह ऐसा था कि सुबह से ही लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। डॉ. रावत, जिनका जन्म 10 दिसंबर 1957 को हरिद्वार में हुआ, अपने पिता श्री हंस जी महाराज की प्रेरणा से मात्र आठ वर्ष की आयु में ही शांति संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के मिशन से जुड़ गए थे। आश्चर्यजनक रूप से तेरह वर्ष की उम्र में उन्होंने इस संदेश को विदेशों में भी फैलाना शुरू किया और न्यूनतम उम्र में वैश्विक स्तर पर शांति का संदेश देने वाले प्रेरक वक्ताओं में शामिल हो गए।
अब तक तीन बार उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। विशेष रूप से 23 नवंबर 2023 को बोधगया में आयोजित उनके कार्यक्रम में 3,75,603 श्रद्धालुओं की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिसे गिनीज बुक ने आधिकारिक मान्यता दी। झुमरी तिलैया में आयोजित इस कार्यक्रम में भी लगभग दस हज़ार श्रद्धालु शामिल हुए, जिन्होंने उनके सत्संग को गहनता से सुना और आत्मिक शांति का अनुभव किया। उपस्थित जनसमूह के चेहरों पर संतोष और आनंद साफ झलक रहा था, जैसे उन्हें बरसों बाद वह अनुभूति प्राप्त हुई हो जिसकी वे लंबे समय से तलाश कर रहे थे।
डॉ. रावत द्वारा लिखी गई कई पुस्तकें स्वयं की आवाज, स्वांस और शांति संभव हिंदी, अंग्रेज़ी समेत विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होकर विश्वभर में पढ़ी जाती हैं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शांति कहीं बाहर नहीं, बल्कि हर मनुष्य के भीतर विद्यमान है। आवश्यकता सिर्फ उसे पहचानने और उससे जुड़ने की है। उनके उद्गारों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और लंबे समय तक सभा में गहरा सन्नाटा और शांति का वातावरण बना रहा।
डॉ. रावत ने बताया कि झुमरी तिलैया से उनका विशेष भावनात्मक जुड़ाव रहा है और वे यहां 14 वर्ष बाद पहुंचे हैं। उन्होंने पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि भविष्य में भी वे यहां आते रहें। उनके इस वक्तव्य ने श्रद्धालुओं को और अधिक उत्साहित कर दिया, और कार्यक्रम के समापन तक केंद्र परिसर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण बना रहा।

