रांची। राज्य में मौसम बदलते ही लोगों में फ्लू के लक्षण बढ़ने लगे हैं। सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों में इन दिनों सर्दी, खांसी और बुखार के मरीजों की तादाद बढ़ गई है। रांची के मेडिका अस्पताल में स्वाइन फ्लू के संदिग्ध तीन मरीज मिले हैं। मामले की जानकारी मिलने के बाद पूरा स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने मामले को लेकर विशेष निर्देश जारी किया है। वहीं डॉक्टर लगातार संदिग्ध मरीजों पर नजर बनाए हुए हैं।
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी राकेश कुमार दयाल ने बताया है कि फिलहाल मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। जब तक मरीजों की जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में फ्लू के मरीजों का आना बहुत आम बात है। इसलिए जब भी लोग बारिश के मौसम में बीमार होते हैं तो उनमें सर्दी-खांसी और छींक जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीजों को किया गया आइसोलेट
स्वाइन फ्लू में भी मरीजों में सर्दी-खांसी, नाक का बहना जैसे लक्षण मिलते हैं। इसलिए स्वास्थ्य संस्था ऐसे मौसम में ऐसे लक्षणों से ग्रसित मरीजों को गंभीरता से लेती है। उन्होंने कहा कि मेडिका में जो मरीज मिले हैं उन्हें आइसोलेट कर रखा गया है। उनका सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेज दिया गया है। यदि सैंपल जांच के बाद मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो फिर एच-1एन-1 के ट्रीटमेंट गाइडलाइन के साथ इलाज किया जाएगा।
मांसपेशियों में दर्द और अकड़न, सिर में तेज दर्द, गले में खराश स्वाइन फ्लू के संक्रमण के लक्षण हैं। यह बीमारी संक्रमित है और एक इंसान से दूसरे को हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने व थूकने से भी दूसरे व्यक्ति में ये संक्रमण फ़ैल सकता है। मालूम हो कि स्वाइन फ्लू एक संक्रामक रोग है, जो एक खास तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस से फैलता है। प्रभावित लोगों में सामान्य मौसमी सर्दी के समान लक्षण होते हैं।
इस संबंध में गुरुनानक अस्पताल की वरिष्ठ चिकित्सक और लैब संचालिका डॉ पूजा सहाय ने बताया कि वर्तमान में जो भी सैंपल जांच के लिए आ रहे हैं उसमें छह से सात मरीज ऐसे पाए गए हैं, जिनमें एच-1एन-1 जैसे लक्षण मिले हैं। वैसे मरीजों का समुचित इलाज किया जा रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने अब तक स्वाइन फ्लू के एक भी मरीज की पुष्टि नहीं हुई है।
ये हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण
– सर्दी-खांसी
– बुखार आना
– मांसपेशियों में दर्द और अकड़न
– सिर दर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेट दर्द
– नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना
– गले में खराश
– कभी-कभी दस्त उल्टी आना
ये हैं बचने के उपाय
-खांसते और छींकते समय अपनी नाक और मुंह को डिस्पोजेबल टिशू से ढकें।
-नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं।
-यदि आप में फ्लू जैसे लक्षण हैं तो दूसरे लोगों से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें।
-अभिवादन करते समय गले मिलने, चूमने और हाथ मिलाने से बचें।
-उपयोग के तुरंत बाद उपयोग किए गए टिश्यू का उचित तरीके से निपटान करें।
-यदि फ्लू जैसे लक्षण हों तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।
-यदि फ्लू जैसे लक्षण हैं, तो काम, स्कूल या भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर घर पर रहें।
-बिना धोए हाथों से आंख, नाक या मुंह को छूने से बचें।
खुद के लिए क्या करें
हाइड्रेटेड रहें, पर्याप्त आराम करें।
एच1एन1 जोखिम को कम करने के लिए वार्षिक टीके लें।
यात्रा के दौरान एन-95 मास्क पहनें।
प्रभावित व्यक्ति से 3-4 फीट दूर रहें।
उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम छोड़ें।
इससे करें परहेज
बस, मॉल, ट्रेन जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बचें।
स्टेरॉयड न लें। क्योंकि, इससे वायरस का खतरा बढ़ सकता है।
उन खाद्य पदार्थों से बचें जो गले में जलन पैदा करते हैं।
रूम हीटर के अत्यधिक उपयोग से बचें। क्योंकि, यह म्यूकस मेम्ब्रेन को सुखा देता है।
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