रांची। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु शुक्रवार को धनबाद स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-आईएसएम) में आयोजित 45वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और कुल 1880 छात्रों को डिग्री प्रदान कीं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार पीके मिश्रा को डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि भी दी गई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस अवस पर कहा कि दीक्षांत समारोह जीवन के नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा और कौशल का उपयोग समाज, देश और विश्व की समस्याओं के समाधान के लिए करें। आईआईटी-आईएसएम की 100 वर्षों की गौरवशाली विरासत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह संस्थान खनन और भूविज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञ तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित हुआ था। समय के साथ इसने अपने शैक्षिक दायरे को विस्तृत कर उच्च शिक्षा और अनुसंधान का अग्रणी केंद्र बन गया है। उन्होंने संस्थान की ओर से तकनीकी विकास और नवाचार में योगदान को भी रेखांकित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने छात्रों से इस विकास यात्रा के अग्रदूत बनने का आह्वान करते हुए कहा कि विकसित भारत का अर्थ है, एक ऐसा राष्ट्र जहां प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर, गरिमा और बेहतर जीवन स्तर प्राप्त हो। आपकी शिक्षा केवल तकनीकी उत्कृष्टता तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि राष्ट्र निर्माण से जुड़ी होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी राष्ट्र का विकास उसके सभी वर्गों के उत्थान में है। उन्होंने आईआईटी-आईएसएम से उत्कृष्ट इंजीनियर और शोधकर्ताओं के साथ-साथ करुणामय, संवेदनशील और उद्देश्यपूर्ण पेशेवर तैयार करने की अपेक्षा जताई। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देकर आप देश के भविष्य को आकार दे सकते हैं।
राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और डिजिटल असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थान इनके स्थायी समाधानों में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने भारत की तकनीकी प्रगति और आईआईटी संस्थानों के योगदान की सराहना की, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुसंधान और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।
राष्ट्रपति ने भारत की युवा जनसंख्या को देश की सबसे बड़ी शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा और डिजिटल कौशल का प्रसार भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने शिक्षा को अधिक व्यावहारिक, नवाचार-केंद्रित और उद्योग-अनुकूल बनाने पर जोर दिया। साथ ही, इंटर-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता बताई, ताकि छात्र जटिल समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोज सकें।
राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि अपने ज्ञान को व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें, बल्कि इसे जनहित और राष्ट्र निर्माण के लिए उपयोग करें। ग्रीन इंडिया के निर्माण में योगदान दें। उन्होंने कहा कि नवाचार केवल बुद्धिमत्ता से नहीं, बल्कि सहानुभूति और नैतिकता से प्रेरित होना चाहिए। राष्ट्रपति ने छात्रों को भारत के ऐतिहासिक परिवर्तन का सारथी और निर्माता बताया और कहा कि आप अपने विचारों को विस्तार दें, उन्हें उन्नत बनाएं और मानवता की सेवा के लिए सशक्त करें।
राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाएं छात्र : राज्यापाल
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने आईआईटी-आईएसएम, धनबाद की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान खनन, ऊर्जा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्र को दिशा देता आया है। 1926 में स्थापित यह संस्थान आज वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त पहचान बना चुका है। राज्यपाल ने इस अवसर पर उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज और राष्ट्र के कल्याण में करें।
झारखंड की खनिज संपदा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आईआईटी-आईएसएम), धनबाद जैसे संस्थान राज्य के सतत और समावेशी विकास में अनुसंधान व नवाचार के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सभी उपाधिधारकों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था, डिजिटल इंडिया अभियान, तकनीकी नवाचार और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जैसे विषयों का उल्लेख करते हुए छात्रों को राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए आह्वान किया।
विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चुनौती को जिम्मेवारी के रूप में लें छात्र : धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि दीक्षांत का मतलब अंत नहीं है। इसका मतलब नए अध्याय से जुड़ना है। आईआईटी-आईएसएम से पढ़े लोगों ने देश दुनिया में नाम रौशन किया है। इस संस्थान से आपको जो डिग्री और अनुभवन प्राप्त हुआ, आप उसे लेकर जाएंगे। उस अस्थिरता के अंदर आपको स्थिर वटवृक्ष के रूप में काम करना होगा। अब लाड, प्यार और रोमांटिक आईडिया का समय समाप्त हो गया है। आपसे अपेक्षा है कि आप विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चुनौती को जिम्मेवारी के रूप में लें। जितनी पढ़ाई क्लास रूम में की है, उससे अलग सोचने का भी साहस करना होगा। क्या आप दुनिया की जिम्मेवारी लेने के लिए तैयार हैं? यह प्रश्न आप सभी को अपने आप से पूछना होगा।
उन्होंने कहा कि आज र्स्टाटअप और इको सिस्टम के मामले में देश दुनिया में तीसरे स्थान पर है। भारत दुनिया का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आने वाले दिनों में सारे इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक कॉलम रखा जाएगा कि कितने नौजवान र्स्टाटअप और इको सिस्टम तक पहुंचे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपको जॉब क्रियेटर बनना है।
उल्लेखनीय है कि दीक्षांत समारोह के दौरान आईआईटी-आईइएसएम) के कुल 1880 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। इसमें 37 छात्र-छत्राओं को गोल्ड मेडल, 35 छात्र-छत्राओं को सिल्वर मेडल और 21 छात्र-छात्राओं को अन्य पुरस्कार दिए गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार पीके मिश्रा को डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि दी गई।
दीक्षांत समारोह के दौरान आइआइटी-आईएसएम के 100 वर्ष पूरे होने पर डाक टिकट भी जारी किया गया। राष्ट्रपति ने आइआइएटी-आईएसएम परिसर में स्थित अटल कम्यूनिटी इनोवेशन सेंटर में आदिवासी महिलाओं की ओर से लगायी गयी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। साथ ही परिसर में पौधारोपण भी किया।
समारोह में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य के शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू सहित अन्य सैकडों शिक्षक, छात्र-छात्रा और उनके अभिभावक उपस्थित थे।
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