हजारीबाग। राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के तहत हजारीबाग जिले में लिम्फेटिक फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर आगामी 10 से 25 अगस्त 2024 तक एमडीए- आईडीए कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत लक्षित आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा आइवरमेक्टिन, डी.ई.सी. एवं एल्बेंडाजोल की एकल खुराक का सार्वजनिक सेवन कराया जाएगा। कार्यक्रम के तहत 2 वर्ष से ऊपर के बच्चों से लेकर सभी उम्र के व्यक्तियों को यह दवा खिलाई जाएगी।
कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा है कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जाने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अंतर विभागीय समन्वय के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता और मीडिया सहयोगियों का भी सहयोग आवश्यक है।
क्या है फाइलेरिया और इसके लक्षण
● फाइलेरिया को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है।
● यह बीमारी मच्छर के काटने से होता है।
● फाईलेरिया विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा दिव्यांगता एवं क्रूरता करने वाली बीमारी है।
● यह शरीर के हाथ, पैर, स्तन और जननांग सहित कई अंगों को भी प्रभावित करता है। इस बीमारी का पता चलने में 5 से 15 साल लग जाता है।
●झारखंड में रहने वाले सभी 4 करोड़ लोगों को इस बीमारी का खतरा है।
फाइलेरिया की रोकथाम एवं नियंत्रण
●आई.डी.ए के दौरान सरकार द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली फाईलेरिया रोधी दवा अवश्य खाएं। यह दवा फाइलेरिया के रोगाणु को मार देती है और आपको हाथीपांव व हाइड्रोसील जैसी बीमारी से बचाने में मदद करती है।
●नियमित मच्छरदानी का प्रयोग करें।
● अपने आस-पास जल-जमाव न होने दें।
● इन दवाइयां का सेवन 2 साल से कम उम्र के बच्चे गर्भवती महिलाएं एवं अत्याधिक बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति कर सकते हैं।
● कृपया अपने घर आने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सामने ही दवा खाएं।
● यह दवा उम्र एवं ऊंचाई के आधार पर खिलाई जाएगी।
● दवा सेवन के बाद कभी-कभी सरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली जैसी मामूली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं, जो फाइलेरिया के रोगाणु को नष्ट होने को दर्शाते हैं।
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