हजारीबाग : राजस्थान प्रांत में जन्मे जूना अखाड़ा के नागा संन्यासी संत बालकपुरी नहीं रहे. सोमवार की देर रात हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू वार्ड में उन्होंने आखिरी सांस ली. हिन्दू संगठन से जुड़े सैकड़ों लोगों ने मंगलवार को नम आंखों से मां काली आश्रम चानो में उन्हें समाधि दी. पिछले 27 वर्षों से वे हजारीबाग के विभिन्न जगहों पर अपनी सेवा दे रहे थे. वे सनातन समाज के संरक्षक और गोरक्षक थे. बाबा के प्रति श्रद्धा भाव रखने वाले सैकड़ों धर्म प्रेमी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए. इनमें संतोष सिंह ने समाधि में प्रमुख भूमिका निभाई. मौके पर श्रद्धानंद सिंह, गोविंद सिंह, महेंद्र पांडेय, संतोष पांडेय, निरंजन दास, शशि सिंह आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे. वे दो माह से बीमार चल रहे थे. विधायक के मीडिया प्रभारी रंजन चौधरी ने उन्हें अस्पताल में काफी सहयोग किया था. मौके पर आरएसएस के विभाग प्रचारक आशुतोष, विश्व हिंदू परिषद के गंगाधर दूबे, श्रद्धानंद सिंह, सदर उप प्रमुख गोविंद सिंह, भाजपा के बटेश्वर प्रसाद मेहता, एकल विद्यालय के अभिषेक कुमार, संत समाज के अलावा आरएसएस के अरविंद राणा, भारतीय मजदूर संघ के हीरा राम, संजय उपाध्याय, टेकलाल साव, नीरज कुमार, संतोष सिंह, गणेश कुमार सिंह समेत सैकड़ों लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी.
राजस्थान से पधारे हजारीबाग और यहीं के होकर रह गए
उनकी शिक्षा दीक्षा राजस्थान प्रांत के निजी विद्यालय और महाविद्यालय में हुई थी. उन्होंने वहीं के विश्वविद्यालय से डबल एमए की शिक्षा हासिल की थी. ये अपने पिता रामकृष्णपुरी की इकलौते संतान थे. उनके पिता भारतीय सेना में कर्नल थे. बाल्यकाल से ही उनके मन में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति काफी प्रगाढ़ता थी. उन्होंने शिक्षा प्राप्ति के बाद संन्यासी जीवन को अपनाया और पूरे देश के शक्तिपीठों और धर्म स्थलों का पैदल भ्रमण किया. वे भाषा विद्वान के साथ उनमें धर्म और विधि का भी काफी ज्ञान था. देश भ्रमण के बाद बाबा बालकपुरी सन् 1995 में चौपारण प्रखंड में आये और हजारीबाग जिले के ही होकर रह गए.
चौपारण में गंगा मंदिर की स्थापना कर जलाया धर्म का अलख
गंगा माता की प्रेरणा से चौपारण प्रखंड के लराही गांव में डैम के किनारे गंगा मंदिर की स्थापना की. लगभग 15 वर्ष तक उन्होंने चौपारण और बरही में धर्म का अलख जगाया और लोगों में सनातन धर्म का भाव प्रगाढ़ किया. गौ माता की प्रेरणा से सन् 2012 में सनातन प्रेमियों को साथ लेकर चौपारण प्रखंड से गोरक्षा आंदोलन की शुरुआत की. लगभग दो वर्षों तक काफी सक्रियता के साथ गोरक्षा का कार्य किया. फिर विश्व हिंदू परिषद की बागडोर संभाली और भारतीय गोवंश रक्षण एवं संवर्धन परिषद के हजारीबाग विभाग के विभाग प्रमुख बने. इन्होंने विश्व हिंदू परिषद के धर्म प्रसार विभाग के प्रांत संरक्षक के रूप में भी समाज को सेवा दी. वे जूना अखाड़ा के नागा संन्यासी थे.