गिरिडीह : झारखंड में जैन धर्म के तीर्थस्थल सम्मेद शिखर में विवाद हो गया। जैन समाज और स्थानीय लोगों के बीच हाथापाई हुई। इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने दुकानें बंद करके नारेबाजी की। विवाद की वजह स्कूली बच्चों को जैन समाज के लोगों की तरफ से दर्शन करने से रोकना बताया जा रहा है। इसके बाद यह विवाद बढ़ गया। इस पर स्थानीय लोगों ने दुकानें बंद कर दी और इसका विरोध शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब आसपास के लोग शिखर पर जाते हैं तो इसका जैन समाज के लोग विरोध करते हैं।दूसरी तरफ जैन समाज के लोगों का कहना है कि यह तीर्थ स्थल है। इसको वही सम्मान देना होगा जो तीर्थस्थलों का होता है।
शांति बनाए रखने की अपील
गिरिडीह जिले के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि गुरुवार को इस मामले में स्थानीय लोग और जैन समाज के लोगों के साथ बैठक करेंगे। मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। जैन समाज के लोगों की आस्था इस जगह से जुड़ी है। साथ ही स्थानीय लोगों की बात भी इस बैठक में सुनी जाएगी। उन्होंने लोगों से अपील की है कि जब तक इस मामले को सुलझा नहीं लिया जाता लोग शांति बनाए रखें।
सम्मेद शिखर के आसपास के इलाके में मांस-मदिरा की खरीदी-बिक्री और सेवन प्रतिबंधित है। कुछ दिन पहले शराब पीते युवक का वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद विवाद शुरू हुआ। धर्मस्थल से जुड़े लोगों का मानना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद से जैन धर्म का पालन नहीं करने वाले लोगों की भीड़ यहां बढ़ी। यहां मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोग आने लगे।
लंबे समय से आंदोलनरत हैं जैन समाज के लोग
इस जगह को पर्यटन स्थल घोषित करने के बाद जैन समाज लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। जैन समाज के लोगों का कहना है कि पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थल में फर्क है, पर्यटन स्थल में लोग घूमने आते हैं मौज मस्ती करते हैं। जैन समाज में कई चीजों पर रोक है। जैन समाज के लोग प्याज लहसुन तक नहीं खाते। ऐसे में जैन समाज के लोगों का कहना है कि इस स्थल को लेकर उनके मन में पवित्र भावना है जो पर्यटकों के व्यवहार से प्रभावित हो सकती है।
2019 में हुआ था नोटिफाई
2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया।
सम्मेद शिखर का महत्व
झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां पर 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं। जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए नौ किलोमीटर की यात्रा तय कर शिखर पर पहुंचते हैं।
हार्ट अटैक से जैन श्रद्धालु की मौत
बुधवार सुबह यहां मध्यप्रदेश के जैन तीर्थ यात्री की हार्टअटैक से मौत मौत हो गई। 60 वर्षीय महेंद्र जी श्रीमाल उज्जैन के रहने वाले थे। उज्जैन से करीब 200 जैन तीर्थयात्री का जत्था मध्य प्रदेश से मधुबन पहुंचा था।