हजारीबाग: अजमेर सियालदह एक्सप्रेस में जयपुर से 550 तीर्थयात्री, जैनियों के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र, सम्मेद शिखर पारसनाथ (मधुबन) के लिए रवाना हुई. उसी ट्रेन में हजारीबाग की शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में कार्यरत पूनम कुजूर अपने परिवार के साथ हजारीबाग आ रही थीं. उनके पास काफी लगेज था. नौ नवंबर को कोडरमा स्टेशन में सामान उतारने के क्रम में गलती से कृष्णा जैन का भी एक बैग उतर गया. लगेज ज्यादा होने की वजह से उस बैग की पहचान नहीं हो सकी.
हजारीबाग आने के बाद उन्हें पता चला की एक लगेज उनका अपना नहीं है. अतः वह परेशान हो गईं. उनको जानकारी थी कि यह बैग उन्हीं जैन यात्रियों में किसी एक का है. बैग में कोई आईडी कार्ड वगैरह भी नहीं था, जिससे उनसे संपर्क किया जा सके. अतः वह ब्लड बैंक में वॉलंटरी ब्लड डोनर्स के अध्यक्ष निर्मल जैन से संपर्क कर उस बैग को उन यात्री तक पहुंचाने में मदद मांगी. निर्मल जैन ने मधुबन में संपर्क कर उन्हें बैग के बारे में यह जानकारी दी, तो उन्होंने बताया वह बैग टोंक निवासी कृष्णा जैन का है. उसमें उनके पूरे परिवार राहुल जैन, अनीता जैन, मीनाक्षी जैन और कनन जैन के सामान थे. वे लोग 11 नवंबर को अपने परिवार के साथ हजारीबाग आए. हजारीबाग में कृष्णा जैन और राहुल जैन को उनका बैग लौटा कर पूनम कुजूर ने अपने कर्तव्य का निर्वाह किया.
कृष्णा जैन ने कहा कि बैग नहीं मिलने की वजह से वह काफी परेशान थीं. उनका काफी सामान उस बैग में था. पूनम कुजूर की ईमानदारी और निर्मल जैन की मदद से उन्हें यह बैग प्राप्त हो सका. दोनों ही बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि बैग की वजह से उन्हें मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज की जन्म नगरी और विशाल जैन मंदिर देखने का अवसर हजारीबाग में मिला.