रांची (Bharat Ratna)। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह, स्व. नरसिम्हा राव, कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत मां के तीन सच्चे सपूत को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है, यह ऐतिहासिक क्षण है।
बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को कहा कि एक सामान्य किसान परिवार में जन्मे असीम प्रतिभाओं के धनी, भारत के किसानों का मान सम्मान बढ़ाने वाले और कृषि प्रधान भारत को एक महान राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले स्व. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न (Bharat Ratna) मिलना बहुत ही खुशी की बात है। लोकतंत्र पर जब इमरजेंसी के रूप में अंधेरे बादल छाए, चौधरी साहब ने उसका डटकर सामना किया और भारत को पुन: लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई।
Bharat Ratna: देश के नीति और निर्देशों में उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी: बाबूलाल
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल छोटा जरूर रहा, पर इस देश के नीति और निर्देशों में उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी। प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर उन्होंने ये साबित कर दिया कि इस देश को मात्र एक परिवार नहीं, बल्कि देश का एक आम किसान भी चला सकता है और बहुत अच्छे से अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकता है। चौधरी साहब तथाकथित पिछड़ी जाति से थे परंतु उन्होंने देश को दुनिया की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया। (Bharat Ratna) उनकी भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि अर्थव्यवस्था पर लिखी गई लगभग 20 से ज्यादा किताबें आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि अर्थव्यवस्था को समझने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हरित क्रांति के माध्यम से भारतीय कृषि में बदलाव लाने वाले प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने अपने पूरे जीवनकाल में एक ऐसी दुनिया की कल्पना के लिए लगातार काम किया जिसमें कोई भूखा या गरीब न हो। उन्होंने कहा कि उन्होंने सतत विकास की अवधारणा, विशेष रूप से कृषि की पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों, खाद्य उपलब्धता और जैव विविधता संरक्षण के साथ भी महान काम किया। (Bharat Ratna) स्वामीनाथन को उनके शोध कार्य का लाभ भौगोलिक सीमाओं के पार फैलाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी प्रशंसा मिली है। गेहूं की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत की हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है।
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