हजारीबाग, ऑफबीट संवाददाता। पूज्य मुनि श्री १०८ निर्वेगसागरजी महाराज, पूज्य मुनिश्री १०८ शीतलसागरजी महाराज व ऐलक श्री १०५ निजानंदसागरजी महाराज संसघ के सानिध्य में बड़ा बाजार दिगंबर जैन मंदिर में अभिषेक शांतिधारा का कार्यक्रम हुआ। मुनि श्री बड़ा बाजार से बाड़म बाजार में मंगल प्रवचन देने के क्रम में उनके सानिध्य में श्रीजी का अभिषेक व शांति धारा का कार्यक्रम हुआ। तत्पश्चात मुनि श्री का मंगल प्रवचन हुआ।
सर्वप्रथम मंगलाचरण नीरज पाटोदी व संचालन विजय लुहाडिया के द्वारा किया गया। मुनि श्री 108 शीतल सागर जी महाराज सर्वप्रथम मंगल प्रवचन भक्तों को दिए। बाद में पूज्य मुनि श्री 108 निर्वेग सागर जी महाराज ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि अत्याधिक पुण्ययोग से प्राप्त हुए इस मानव जीवन को सफल बनाने के लिए व्यक्ति के द्वारा निरंतर पुरुषार्थ किया जाता रहा है। जीवन के एक पड़ाव उम्र की सीमा तक जीवन जीने की कला सीखने की आवश्यकता पड़ती है तो एक पड़ाव के बाद मरण को मृत्यु महोत्सव बनाने वाली कला यानि मरने की कला भी सीखना आवश्यक है।
मुनिश्री ने कहा कि राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार, मरना सबको एक दिन ,अपनी अपनी बार। विश्व के अनेक दर्शन ,धर्मों में जैन दर्शन एक ऐसा दर्शन है जो एक ओर जीने की कला का उत्कृष्ट वर्णन करता है तो दूसरी ओर अमरत्व की ओर ले जाने वाली मृत्यु को जीत कर मृत्युंजयी बनने की कला का भी विशद निर्देशन प्रदान करता है।
अंत में कहा कि धर्माचरण का निर्दोष निर्वहन कैसे किया जाए, खाली समय का उपयोग कैसे किया जाए, छोटे-छोटे नियम लेकर अपने आगामी जीवन का शेष दिन सफल बनाने, ये सब जानने समझने की एवं प्रयोग में लाने हेतु गुरु चरण का सानिध्य तथा उनके उपदेश सुनने से ही लाभ प्राप्त होता है।संध्या में गुरु भक्ति, बच्चों की पाठशाला, महाआरती, भजन का कार्यक्रम हुआ। प्रभारी विजय लुहाड़िया ने बताया की मुनि श्री का मंगल प्रवचन कल बाड़म बाजार में प्रातः आठ बजे से होगा सभी समय का विशेष ध्यान देंगे।