लखनऊ। अतीक और अशरफ को गोलियों से छलनी करने वाले तीन शूटरों को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेज दिया गया है लेकिन यह सवाल अब भी बना है कि उन तीनों ने आखिर पुलिस कस्टडी में माफिया को मारने की दुस्साहसिक हरकत क्यों की। किसने उन तीनों को भेजा। साजिश के पूछे असली चेहरा कौन है। क्या था कत्ल कराने के पीछे इरादा। इन सवालों के जवाब पुलिस अधिकारी भी नहीं दे रहे हैं जबकि उन्हें शूटरों ने सब बताया है।
काल्विन अस्पताल परिसर में शनिवार रात करीब साढ़े दस बजे अतीक अहमद और अशरफ को चेकअप के लिए पुलिस टीम लेकर पहुंची तभी मीडिया कर्मी बने तीन शूटरों ने करीब से फायरिंग कर दोनों को मार गिराया और खुद पिस्टल फेंककर सरेंडर कर दिया। समर्पण करने वाले शूटरों लवलेश, सनी और अरुण से पर्याप्त पूछताछ के बाद पुलिस ने रविवार शाम रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इसके बाद भी नहीं बताया कि आखिर शूटआउट के पीछे असली दिमाग किसका था। किसने इन तीन अपराधियों को तुर्किये मेड दो पिस्टल मुहैया कराई। तुर्किए में बनी एक पिस्टल की कीमत सात लाख रुपये से ज्यादा बताई गई है। ऐसे में वहां की दो पिस्टल तकरीबन 15 लाख रुपये की हुई जबकि पकड़े गए तीनों शूटरों की हैसियत न तो इस विदेशी पिस्टल को खरीदने की है और न उसे तस्करी के जरिए मंगाने की। ऐसे में यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि पिस्टल मंगाकर देने और इस हत्याकांड की साजिश रचने के पीछे बड़ा दिमाग है। ये तीनों खुद अपने स्तर से ऐसे कांड की साजिश नहीं रच सकते थे।
अतीक और अशरफ पर हमले का तरीका बता रहा है कि शूटरों को सब कुछ पता था। उन्हें मालूम था कि अतीक और अशरफ को 10 बजे के बाद काल्विन अस्पताल लाया जाएगा। आखिर कैसे उन्हें इतनी सटीक जानकारी थी। तीनों ने कैमरे और आइडी का भी इंतजाम कर रखा था। यह सब आनन-फानन तो नहीं हुआ होगा। इसके लिए लंबी तैयारी की गई होगी। और ऐसी तैयारी तभी हो सकती है।
जब पता हो कि अतीक और अशरफ को कब जेल से निकाला जाना है और फिर कस्टडी में रखकर क्या-क्या करना और कहां ले जाना है। अस्पताल ले जाने की भी सटीक जानकारी होने पर भी शूटर ऐसी साजिश रच सकते थे। बहरहाल, पुलिस अधिकारी खुद कुछ बता नहीं रहे हैं और इस बीच गैंगस्टर सुंदर भाटी का नाम जरूर हमले के पीछे चर्चा में ला दिया गया है। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि बिल्डर और सफेदपोश के गठजोड ने हमला कराया लेकिन पुलिस विभाग से रिटायर हो चुके वरिष्ठ अधिकारी तो कुछ और ही इशारा करते हैं।
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