हजारीबाग। हजारीबाग के ऐतिहासिक श्मशान काली मंदिर में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंबुबाची महोत्सव पूरे धार्मिक उल्लास और भक्ति भाव से की जा रही हैं। मंदिर के पुजारी बिट्टू बाबा ने बताया कि यह पांच दिवसीय अनुष्ठान 22 जून से आरंभ हुआ, जो 26 जून तक चलेगा। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु और साधक मां के दर्शन और अनुष्ठान में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे हैं।
अंबुबाची महोत्सव को मां काली की तपस्या, सृजन और उर्जस्विता से जोड़ा जाता है। यह पर्व विशेष रूप से तांत्रिक परंपरा से जुड़ा हुआ है और झारखंड में इसे सबसे प्रमुख रूप से हजारीबाग के श्मशान काली मंदिर में मनाया जाता है। पुजारी बिट्टू बाबा ने बताया कि अंबुबाची के चार दिनों तक मंदिर के गर्भगृह में मां की प्रतिमा को स्पर्श करना वर्जित रहता है, क्योंकि इसे देवी की प्रसूता अवस्था माना जाता है।

इस अवधि में मंदिर में गहन साधना, मौन, ध्यान और भक्ति का वातावरण बना रहता है। पांचवें दिन अर्थात 26 जून को मां का विशेष शुद्धिकरण अनुष्ठान किया जाएगा और फिर महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा। उसी दिन से मंदिर के पट भक्तों के लिए पुनः खुल जाएंगे। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, रात्रिकालीन साधना एवं तांत्रिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दूर-दराज से साधक और श्रद्धालु भाग लेंगे। मंदिर समिति की ओर से भक्तों के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है। साफ-सफाई, पेयजल, सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही महिला श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
स्थानीय प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है तथा स्वयंसेवकों की टीम को तैनात किया गया है, जो हर स्तर पर सहयोग के लिए तत्पर हैं। पुजारी ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इस महोत्सव में श्रद्धा, संयम और धार्मिक मर्यादा के साथ भाग लें। उन्होंने कहा कि मां काली की यह भूमि साधना की दृष्टि से जाग्रत है, जहां भक्तों की प्रार्थनाएं कभी निष्फल नहीं जातीं। इस महोत्सव के माध्यम से भक्तों को आत्मिक शांति, मां की कृपा और साधना की शक्ति प्राप्त होती है। इसके लिए अध्यक्ष मनोज गुप्ता, सचिव राजेश गोप, चंद्रिका साव सहित अन्य लोग लगे हुए हैं।
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