नई दिल्ली। ट्विटर, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट के बाद अब अमेजन ने छंटनी शुरू कर दी है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन इंक अपने नॉन प्रॉफिटेबल बिजनेसेज की समीक्षा कर रहा है। इसमें वॉयस असिस्टेंट एलेक्सा बनाने वाली यूनिट भी शामिल है। कंपनी बढ़ती आर्थिक मंदी के बीच कॉस्ट कटिंग करने के लिए ऐसा कर रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन अपने एलेक्सा बिजनेस का बारीकी से मूल्यांकन कर रहा है। अमेजन इस पर विचार कर रहा है कि क्या उसे वॉयस असिस्टेंट में नई क्षमताओं को जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। रिपोर्ट कहा गया है कि क्षमताओं को जोड़ने के लिए कंपनी को ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरूरत होगी और कई ग्राहक केवल कुछ कार्यों के लिए ही डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं।
हायरिंग फ्रीज करने की भी अनाउंसमेंट
अमेजन के एक टॉप एग्जीक्यूटिव के भेजे गए एक इंटरनल मेमो के अनुसार, कंपनी ने पिछले हफ्ते ही हायरिंग फ्रीज करने की भी अनाउंसमेंट की थी। वहीं अमेजन में काम करने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर जेमी झांग ने लिंक्डइन पर अपने कनेक्शंस को पोस्ट शेयर कर बताया कि उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया है।
3,500 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
पूर्व कर्मचारी ने पोस्ट में बताया कि पूरी रोबोटिक्स टीम को फायर कर दिया गया है। लिंक्डइन के आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी के रोबोटिक्स डिवीजन में 3500 से ज्यादा एम्प्लॉइज हैं। हालांकि, अमेजन की ओर से छंटनी को लेकर अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है।
कर्मचारियों को कहीं और नौकरी खोजने को कहा
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कंपनी ने अपनी कुछ अनप्रॉफिटेबल यूनिट्स में काम करने वाले एम्प्लॉइज को कहीं और नौकरी खोजने को कहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी के कई प्रोजेक्ट्स बंद, या जल्द ही सस्पेंड किए जा सकते हैं।
टारगेटेड प्रोजेक्ट्स’ के लिए हायरिंग जारी रहेगी
कंपनी में पीपल एक्सपीरियंस एंड टेक्नोलॉजी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बेथ गैलेटी ने मेमो में बताया कि हायरिंग फ्रीज होने के बावजूद ‘टारगेटेड प्रोजेक्ट्स’ के लिए नई नियुक्ति और साथ ही खुद से कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों की जगह रिप्लेसमेंट भी करेगी।
हायरिंग और इन्वेस्टमेंट्स को बैलेंस करना चाहते हैं
नोट में कहा गया है, ‘हम एक असामान्य मैक्रो इकोनॉमिक एनवायरनमेंट का सामना कर रहे हैं। इस एनवायरनमेंट के बीच हम अपनी हायरिंग और इन्वेस्टमेंट्स को बैलेंस करना चाहते हैं। यह पहली बार नहीं है, हमने इससे पहले भी कई बार चैलेंजिंग इकोनॉमीज का सामना किया है।’