बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या अब वर्दी ताकत की नहीं, बल्कि दादागिरी की पहचान बन चुकी है? सोलह सेकंड का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कथित तौर पर आबकारी उपनिरीक्षक नीरज साहू का रौब और एक गरीब ठेलेवाले की बेबसी सबके सामने है।
बताया जा रहा है कि, यह वीडियो बलरामपुर बस स्टैंड का है। दृश्य में वर्दीधारी नीरज साहू अपने सामने खड़े एक ठेलेवाले का कॉलर पकड़ते हैं, उसे सरकारी गाड़ी की ओर धकेलते हैं और फिर जमीन पर पटक देते हैं। ठेलेवाले के गले पर नाखूनों के निशान तक दिख रहे हैं। सवाल उठता है अगर ठेलेवाले ने गलती की थी, तो क्या कानून हाथ में लेना ही अब न्याय का नया तरीका है? या फिर वर्दी पहनते ही इंसानियत छुट्टी पर चली जाती है?

वर्दी का रौब या इंसानियत का जनाजा?
वर्दी, जो सम्मान और सेवा का प्रतीक होती है, अब लोगों के बीच डर का पर्याय बनती जा रही है। वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं, क्या वर्दी का मतलब है गरीबों को रौंदना? प्रशासन की खामोशी इस पूरे मामले पर और भी सवाल खड़े कर रही है।
पहले भी विवादों में रहे नीरज साहू
यह कोई पहला मौका नहीं है जब उपनिरीक्षक नीरज साहू विवादों में आए हों। जून महीने में भी इनका नाम तब सुर्खियों में आया था, जब उन पर 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। उस वक्त भी इनका वीडियो वायरल हुआ था। अब एक बार फिर वही कहानी, बस किरदार वही और पीड़ित बदल गया।
जिला आबकारी अधिकारी सत्यनारायण साहू का कहना है कि, मामला संज्ञान में है और नीरज साहू ने सफाई दी है कि ठेलेवाले ने शराब दुकान के 100 मीटर दायरे में चखना दुकान लगाया था। हटाने की बात पर विवाद हुआ। लेकिन सवाल यह है कि क्या हटाने का मतलब पटकने से है? और क्या सरकारी कार्य में बाधा का मतलब किसी गरीब की गर्दन दबाना है?
वर्दी का भार संभालना हर किसी के बस की बात नहीं
वर्दी जिम्मेदारी का प्रतीक है, अहंकार का नहीं। जब यही वर्दी आम जनता के दिल में डर का कारण बनने लगे, तो यह समाज के भरोसे पर सबसे बड़ा प्रहार है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन वर्दी की गरिमा बचाएगा या फिर यह वीडियो भी सोशल मीडिया की भीड़ में खोकर अगली चर्चा का हिस्सा बन जाएगा। क्योंकि सवाल सिर्फ एक है, वर्दी पहनी है तो क्या इंसानियत उतार दी है?
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