बलरामपुर, उज्जवल तिवारी। जिले के शंकरगढ़ क्षेत्र के रहने वाले हिम्मत गहरवार का पूरा परिवार मिलकर बांस के सामान बनाकर बेचते हैं. रामानुजगंज के जामवंतपुर में सड़क किनारे बांस के सामान बनाकर बेचते हैं बांस शिल्प इनका पैतृक व्यवसाय है. वह तरह-तरह के उपयोगी सामान बनाकर बेचते हैं. बांस से बनाए सामान बेचकर ही अपना गुजर-बसर करते हैं इनकी जाति पीढ़ी-दर-पीढ़ी बांस के सामान बेचकर जीवन यापन कर रहे हैं.
बांस के सामान बनाकर करते हैं गुजारा
बांस से बनी वस्तुएं बेचकर जो आमदनी होती है उससे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. बांस शिल्प छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी प्रचलित है. बांस के कई उपयोग है. किसी तरह गुजारा करते हैं. पुश्तैनी हुनर को न केवल अपनाए हुए हैं बल्कि सहेजे हुए भी हैं.
नवंबर से मार्च तक बनाते हैं बांस के सामान
नवंबर से मार्च के महीने तक रामानुजगंज के जामवंतपुर में सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहते हैं और बांस के सामान बनाकर बेचते हैं. यहां महुआ के सीजन में महुआ चुनकर रखने के लिए छोटी-बड़ी टोकरियों की काफी डिमांड रहती है. मार्च महीने के बाद वापस अपने गांव शंकरगढ़ के घुघरी कला लौट जाते हैं.
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