लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने सरकारी आवास पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने प्रदेश की जनता से अधिकारों के साथ कर्तव्य का भी निर्वहन करने और मेरा काम देश के नाम करने की अपील की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं पूरे प्रदेशवासियों को हृदय से बधाई देता हूं। आज ही के दिन 1950 में भारत ने आजादी की अपनी एक लंबी लड़ाई के उपरांत स्वयं का संविधान लागू किया था। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़े संविधान में से एक है। भारत के संविधान में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, संविधान विदों और विशेषज्ञों के अनुसार जिस संविधान को अपने देश में लागू किया, पिछले 74 वर्षों से यह भारत के अंदर जाति, मत, संप्रदाय, क्षेत्र, यहां तक तमाम अवरोधों को पूरी तरह समाप्त करते हुए अपनी कसौटी पर खरा उतरा है।
यह भारत के संविधान की ही महानता है कि दुनिया के अंदर आधुनिक लोकतंत्र के रूप में अपने आप को स्थापित करने वाले तमाम वे देश जो अपने को आज की व्यवस्था के अनुसार सबसे प्रगतिशील मानते हैं, उन देशों ने लंबे समय तक लिंग भेद के आधार पर महिलाओं को मताधिकार से वंचित किया था। तमाम दबी कुचली परंपराओं को समाज और राष्ट्र की मुख्य धारा से अलग किया था। लेकिन भारत दुनिया का वह देश है जिसने संविधान लागू करने के साथ ही इस बात को सुनिश्चित किया था कि लिंग के आधार पर जाति, मत, मजहब, क्षेत्र के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा और भारत के वयस्क मतदाता को अपना मताधिकार करने, भारत के अंदर सरकार बनाने के लिए पूरा अधिकार दिया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत के संविधान के कारण भारत का हर नागरिक आज देश की सरकार को बनाने में उसका हिस्सेदार बना हुआ है। हमारा संविधान अनेक उपलब्धियां से भरा हुआ है। इसीलिए उन उपलब्धियां को ध्यान में रखते हुए अगर यह संविधान हमें अधिकार देता है तो हमारे कर्तव्यों के प्रति भी हम सबको आग्रही बनाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देशवासियों का इसी बात के लिए आवाह्न किया है। जब यह देश 2022 में अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था तो उस महोत्सव वर्ष में पूरे देशवासियों का आह्वान किया था कि आगामी 25 वर्ष के लिए हमें एक व्यापक योजना लेकर आगे बढ़ना होगा। इन 25 वर्षों में हम कैसा भारत चाहते हैं, यह हम सब के संकल्प को जब भी धरातल पर उतरने के साथ कार्य करते हैं तो 2047 में भारत विकसित राष्ट्र के रूप में खड़ा होगा। हर भारतवासी न केवल अपने देश और प्राचीन विरासत पर गौरव की अनुभूति कर पाएगा, बल्कि वह अपने वर्तमान को सुखद और सुंदर बनाने के साथ ही अपने भविष्य को भी उतना ही उज्ज्वल बनाने के प्रति आसान्वित होगा।
उन्होंने कहा कि हम सबको इस बारे में ध्यान रखना होगा कि संविधान हमारा सर्वाेपरि है। संविधान हमें एक ही बात के लिए आग्रही बनाता है कि हम सब का जो भी कार्य हो वह देश के लिए हो। हमारा काम देश के नाम। अगर हम देश के प्रति राष्ट्र के प्रति श्रद्धा एवं सम्मान का भाव प्रकट करते हैं तो हर व्यक्ति, हर जाति, हर मजहब और हर संप्रदाय इस देश के अंदर अपने आप को सुरक्षित महसूस करेगा। आजादी के अमृत महोत्सव के उपरांत आज हमें भारत के संविधान को लागू करने के अमृत महोत्सव वर्ष में भी सहभागी होने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह दोनों अगर एक साथ चलेंगे तो देश की संविधान की रक्षा और संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करके हम लोग अपनी आजादी को भी अक्षुण्य बनाए रख सकते हैं। भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने में अपना योगदान दे पाएंगे।
उन्होंने कहा कि मैं एक बार फिर से भारत माता के महान सपूतों को जिन्होंने देश के संविधान को बनाने में अपना योगदान दिया उन्हें नमन करता हूं। महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी गई तो जब संविधान की बात आई तो उसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद का नाम सबसे पहले लिया गया। सभी संविधान विदों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर के स्वरूप प्रदान करने में और उसकी विभिन्न बैठकों में तमाम प्रकार की मतभिन्नता के बावजूद सर्वमान्य बनाने का प्रयास किया। अभिनंदनीय रहा और उन सभी विशेषज्ञों के अनुसार भारत के संविधान को लिपिबद्ध करके उसकी ड्राफ्ट तैयार करके वर्तमान स्वरूप में देने का श्रेय भारत के उस महान सपूत बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों को दिया जाता है। उन महापुरुषों ने जिस तत्परता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन किया, वह हम सबके लिए अनुकरणीय है। इस अवसर पर भारत माता के उन महान सपूतों को जिन्होंने अपना सर्वस्व दिया, उन्हें नमन करता हूं।
ये भी पढ़िए…….