धनबाद। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह संस्थान न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह एक ऐसी परंपरा का प्रतीक है, जिसने ज्ञान, नवाचार और राष्ट्रीय सेवा के मूल्यों को साकार किया है। उन्होंने छात्रों से कहा कि आपका दायित्व है कि आप सामाजिक समस्याओं को समझें और उनके समाधान के लिए कार्य करें। एक विकसित भारत तभी संभव होगा जब हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाएँ।
उन्होंने संस्थान के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी स्थापना 1926 में खनन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से की गई थी। यह संस्थान देश के शैक्षिक एवं औद्योगिक विकास का दर्पण है और आज यह अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।
राज्यपाल बतौर मुख्य अतिथि सोमवार को आईआईटी (आईएसएम), धनबाद के 99वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि आज जब हमारा देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है, तो आईआईटी (आईएसएम) जैसे संस्थानों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यहां से पढ़े विद्यार्थियों ने न केवल शैक्षिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है।
राज्यपाल ने संस्थान के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि आईआईटी (आईएसएम) केवल तकनीकी और अकादमिक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह नवाचार, उद्यमशीलता और सामाजिक बदलाव की प्रेरणा भी है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित न रखें और समाज और राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान सुनिश्चित करें।
राज्यपाल ने संपूर्ण आईआईटी (आईएसएम), धनबाद परिवार को स्थापना दिवस की बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह संस्थान अपने ज्ञान, नवाचार और सेवा की परंपरा को जारी रखते हुए विकसित भारत 2047 के लक्ष्य प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आईआईटी (आईएसएम), धनबाद अपने आगामी वर्षों में और भी उत्कृष्टता को प्राप्त करने की ओर सक्रियता से अग्रसर होगा और वैश्विक स्तर पर अपने योगदान से विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा।
राज्यपाल ने इस दौरान संस्थान का डिजिटल कैलेंडर भी लॉन्च किया। इस दौरान कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद और बर्नपुर एवं दुर्गापुर स्टील प्लांट के प्रभारी चेयरमैन ब्रिजेन्द्र प्रताप सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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