बलरामपुर, अनिल गुप्ता। जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रामचौरा एक मनोरम स्थान है. दुर्गम रास्तों से होकर पहाड़ी की चोटी पर श्रद्धालु पहुंचते है. यहां ऊंची चोटी से अलग ही नजारा देखने को मिलता है. रामचौरा पहाड़ी तातापानी से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के मौके पर पहाड़ी पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है और भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. इस दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
चट्टानों के बीच से होकर चढ़ते हैं पहाड़ी पर
रामचौरा पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सिर्फ पगडंडियों का रास्ता है जहां चट्टानों के बीच से होकर पहाड़ी पर पहुंचा जा सकता है जिसके कारण यहां दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है. पहाड़ी पर चढ़ने के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है.
कुंड में धोए जाते थे राम और माता सीता के कपड़े
यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ है चारों तरफ जंगल और पहाड़ मौजूद है. यहां पहाड़ी के बीच में एक कुंड भी मौजूद है ऐसी मान्यता है कि इसी कुंड में भगवान राम और माता सीता के कपड़े धोए जाते थे.
रामचौरा पहाड़ी की पौराणिक मान्यताएं
रामचौरा पहाड़ी की पौराणिक मान्यताएं हैं कि त्रेता युग में भगवान श्री राम अपने चौदह वर्षों के वनवास काल के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ रामचौरा पहाड़ी पर आए थे यहां से भगवान राम ने अपने धनुष से बाण चलाया वह बाण तातापानी में जाकर गिरा जिससे धरती में छेद हो गया और चमत्कारिक रूप से धरती से गर्म पानी निकलने लगा. आज भी तातापानी में धरती से अनवरत गर्म पानी निकल रहा है. रामचौरा पहाड़ी को राम वन गमन पथ से जोड़ने की मांग किए जाने पर इस स्थान का सर्वे भी किया जा चुका है.