किशनगंज। मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। वर्तमान में स्थानीय जिला समेत पूरे प्रदेश में डेंगू का प्रसार जारी है। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए लोगों को सर्तक और सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि, इस बीमारी से बचाव के लिए सही जानकारी के साथ-साथ सतर्कता और सावधानी ही सबसे बेहतर और कारगर उपाय है। इसलिए, सभी लोग इस बीमारी से सतर्क और सावधान रहें एवं बचाव से संबंधित उपाय का निश्चित रूप से पालन करें।
अब तक जिले में कुल 08 डेंगू के मरीज मिले हैं। इसमें 06 मरीज डेंगू से जुड़ी चुनौती को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। फिलहाल जिले में डेंगू के 02 एक्टिव मरीज हैं। दोनों मरीज का सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में समुचित इलाज जारी है। डेंगू मरीजों को सभी तरह की चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार जरूरी पहल कर रहा है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० मंजर आलम ने कहा कि जिले में डेंगू को लेकर फिलहाल स्थिति सामान्य है। डेंगू के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर विभाग पूरी तरह अलर्ट है। इसे लेकर डेंगू संक्रमण के शिकार सभी मरीजों के घर के आसपास 500 मीटर के दायरे में फॉगिंग करायी जा रही है। संक्रमित सभी व्यक्ति के घरों में फॉगिंग संपन्न हो चुकी है। डेंगू मरीजों की लाइन लिस्ट तैयार की गयी है। नियमित रूप से मरीजों का फॉलोअप किया जा रहा है। ताकि उन्हें समुचित चिकित्स्कीय सुविधा उपलब्ध करायी जा सके।
उन्होंने बताया कि शहरी इलाकों में संबंधित नगरपालिका व ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य विभाग के स्तर से छिड़काव किया जा रहा है। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया कि जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के दिशा निर्देश के आलोक में जिले में डेंगू की जांच व इलाज का समुचित इंतजाम उपलब्ध है। जिले के सभी पीएचसी व एपीएचसी स्तर पर डेंगू जांच से संबंधित सुविधा उपलब्ध है। डेंगू संबंधी मामलों के सत्यापन के लिये सदर अस्पताल में एलीजा टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। प्रारंभिक जांच में डेंगू का लक्षण उजागर होने पर सैंपल वैरिफिकेशन के लिये इसे सदर अस्पताल भेजा जाता है। जहां डेंगू का मामला सत्यापित होने पर मरीजों की समुचित जांच के बाद जरूरी चिकित्सकीय सुविधा उन्हें उपलब्ध करायी जा रही है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आंख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्तस्राव होना डेंगू के लक्षण में शामिल हैं। कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए।
डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम गंभीर श्रेणी में आते हैं। यदि इनका शीघ्र इलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीजों के उपचार के लिए रक्तचाप एवं शरीर में खून के स्राव का निरीक्षण करना जरूरी होता है। राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण विभाग के अनुसार 1 प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के अभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक खतरनाक हो सकता है।
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