बलरामपुर, विष्णु पाण्डेय। सरकार अब तो जाग जाइए! कब तक धरती के भगवान के वेश में ये मौत के सौदागर मरीजों के जीवन के खेवनहार बने रहेंगे। बलरामपुर जिले का स्वास्थ्य महकमा शायद भूल गया है कि नीम हकीम खतरे जान महज कहावत नहीं, एक चेतावनी है। कुर्लूडीह से लेकर रामानुजगंज तक झोला छाप डॉक्टरों का यह साम्राज्य फैल चुका है। जहां डिग्री नहीं और इलाज सिर्फ जुगाड़ पर टिका है।
कुर्लूडीह का मौत वाला क्लिनिक

बलरामपुर जिले के कुर्लूडीह गांव में मेडिकल स्टोर की आड़ में ऐसा ‘मौत का क्लिनिक’ चल रहा है, जहां बिना डिग्री वाला व्यक्ति खुद को डॉक्टर बताकर मरीजों का इलाज कर रहा है। संचालक संजय यादव के इस क्लिनिक में न रजिस्ट्रेशन है, न अनुमति लेकिन मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है। सवाल यह नहीं कि वह इलाज कैसे कर रहा है, सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग कहां है? या फिर वहां की कुर्सियां अब फाइलों में ही अटकी हैं?
इस पूरे मामले पर सीएमएचओ डॉक्टर बसंत सिंह ने कहा कि कुर्लूडीह में बिना अनुमति के संचालित क्लिनिक की शिकायत मिली है, बीएमओ को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
रामानुजगंज: जहां फर्जी इलाज बना धंधा
कुर्लूडीह ही नहीं, रामानुजगंज में तो इलाज का यह फर्जी खेल और भी संगठित रूप ले चुका है। यहां कई ऐसे कथित इलाजगर हैं जो झाड़-फूंक और फर्जी रिपोर्टों के सहारे मरीजों को डराकर पैसे ऐंठते हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि इनका स्थानीय पैथोलॉजी लैब से गठजोड़ है। मरीज को वायरल या मलेरिया बताकर फर्जी रिपोर्ट बनवा दी जाती है और फिर महंगी दवाएं थमाकर इलाज का नाम दे दिया जाता है। यह सब योजनाबद्ध धोखाधड़ी है, जहां मरीज की जेब खाली और सेहत खराब होती है।
बाकी जगह कार्रवाई, रामानुजगंज में मौन क्यों
वर्ल्ड विजन न्यूज और ऑफबीट न्यूज की रिपोर्टों के बाद कई ब्लॉकों में बीएमओ हरकत में आए, छापेमारी हुई, क्लिनिक सील किए गए। लेकिन रामानुजगंज ब्लॉक में जैसे सबकुछ थम गया। यहां न कोई टीम बनी, न छापा पड़ा, मानो इस क्षेत्र पर कार्रवाई निषिद्ध का बोर्ड टंगा हो। क्या इन फर्जी डॉक्टरों के पीछे कोई ऐसी अदृश्य ताकत है जो हर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल देती है?
डिग्री एक, इलाज दूसरा: कानून को खुली चुनौती
जिले में कई ऐसे डॉक्टर हैं जो एक शाखा की डिग्री लेकर दूसरी पद्धति से इलाज कर रहे हैं। दवा सादे पन्नों पर लिखी जाती है। बिना नाम, बिना डिग्री। मतलब सबूत मिटाओ और कानून को ठेंगा दिखाओ। यह सिर्फ नियमों की अनदेखी नहीं, बल्कि मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ है।
रामानुजगंज और कुर्लूडीह की ये तस्वीरें सिर्फ खबर नहीं, व्यवस्था का आईना हैं। जहां लापरवाही ने इंसानियत को शर्मिंदा कर दिया है। अब वक्त है कि स्वास्थ्य विभाग फाइलों से बाहर निकले, और ऐसे मुन्नाभाई एमबीबीएस पर सख्त कार्रवाई करे। वरना अगली बार सुर्खियां किसी और मासूम की मौत से लिखी जाएंगी।
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