हजारीबाग। झारखंड राय विश्वविद्यालय,रांची के तत्वावधान में शिक्षा, संस्कृति, उत्थान, न्यास का चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न हो गया। इस कार्यशाला के समापन समारोह में न्यास के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने शिक्षकों से अपने संबोधन में कहा कि स्थापनाकाल के समय से न्यास मां, मातृभूमि एवं मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं के मूल मंत्र के साथ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि न्यास का मानना है कि बिना चरित्र के व्यक्तित्व का विकास संभव नहीं है। इसी मूल मंत्र को लेकर इस कार्यशाला का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शिक्षक जब चरित्रवान होंगे, तभी वे अच्छे छात्रों का निर्माण कर सकेंगे। उन्होंने शिक्षकों को चाणक्य की भूमिका में आने की बात कही, ताकि हम चंद्रगुप्त पैदा कर सके।कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ राजेश्वर पराशर ने अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। विश्व में भारतीय प्रतिभा ने अपनी परचम लहराई है, परंतु चरित्र एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास की जरूरत है। इसके लिए शिक्षकों एवं छात्रों की समान रूप से जरूरत है। चरित्र एवं व्यक्तित्व मनुष्य का श्रृंगार है। जरूरत है कि सभी संस्था अपने पाठ्यक्रम में इन सभी चीजों का समावेश करें।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि सभी संस्थाएं एक साथ आगे आकर इसे लागू करने का प्रयास करें, ताकि शिक्षा के मूल उद्देश्य को प्राप्त कर सके। उन्होंने कार्यशाला के आयोजन के लिए झारखंड राय विश्वविद्यालय को साधुवाद दिया तथा इसे सभी विश्वविद्यालयों में आयोजन कर शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की सलाह दी। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में कई सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अतुल भाई कोठारी, डॉ चांद किरण सलूजा, डॉ सविता सेंगर, डॉ विजय कुमार सिंह, डॉ पीयूष रंजन, अमरकांत झा के अलावा कई विद्वानों ने मार्गदर्शन किया। इस कार्यशाला में झारखंड के सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालय के 135 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में धन्यवाद ज्ञापन झारखंड राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रंजन ने किया। कार्यशाला को सफल बनाने महेंद्र सिंह, डॉ बालेश्वर पाठक, डॉ सुमित पांडेय समेत न्यास के कई सदस्यों की सराहनीय भूमिका रही।
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