हजारीबाग। हजारीबाग स्थित कटकमसांडी के मिडिल स्कूल कंडसार से शिक्षक रत्नेश्वर नाथ पाठक 31 जनवरी 2025 को सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इन्हें मैथ का मास्टर की उपाधि से नवाजा जाए, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वैसे भी उन्हें मैथ में मास्टर की डिग्री हासिल है। आठ अक्तूबर 1994 में उन्होंने बतौर प्राथमिक शिक्षक सरकारी सेवा में योगदान दिया था।
तब बीपीएससी क्रैक कर शिक्षक की नौकरी मिली थी। हजारीबाग जिले में उनका रिजल्ट पहले पायदान पर था। वर्ष 1985 में पीजी मैथ में भी वे रांची यूनिवर्सिटी में टाॅपर्स की लिस्ट में थे। वह विलक्षण प्रतिभा के धनी रहे हैं। वर्ष 1979 में जब मैट्रिक में थे, तो प्योर एंड अप्लायड मैथेमेटिक्स में सौ फीसदी अंक हासिल कर शिक्षकों को भी चौंका दिया था। उन्होंने जेपीएससी, बीपीएससी जैसी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी क्रैक की। ऐसे विद्यार्थी पर जिला स्कूल अब सीएम एक्सीलेंस स्कूल और संत कोलंबा जैसे ऐतिहासिक काॅलेज भी गर्व करता है।
जिस जिला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की सरकार की अनुशंसा पर वहां लगभग एक दशक तक बच्चों का गणित मजबूत किया। यहां इन्होंने 30 जून 2004 से 25 जुलाई 2009 और 2012-13 तक शिक्षा का अलख जगाया। इस दौरान बच्चों के मैट्रिक और इंटर में मैथ में शानदार नतीजे रहे। शिक्षक रत्नेश्वर नाथ पाठक ने बतौर शिक्षक कभी इसे रोजगार और व्यापार नहीं बनाया, बल्कि मिशन बनाते हुए जुनून, लगन, ईमानदारी और समर्पण से तीन दशकों तक शिक्षा की लौ जलाए रखी। सरकारी सेवा में आने के साथ ही बरही स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुंडू में आठ अक्तूबर 1994 से 16 अक्तूबर 1998 तक सेवा दी।
इस दौरान यहां के बच्चों को काॅन्वेंट की तर्ज पर शिक्षा दी। पहले ही प्रयास में इस स्कूल के छह बच्चों का जवाहर नवोदय विद्यालय में कामयाबी दिलाई। उन्होंने इसके लिए बच्चों को ख्वाब दिखाएं और फिर हौसला-जज्बा बढ़ाने के साथ उनके सपनों को पंख भी लगाए। उनके पढ़ाए कई विद्यार्थी आईआईटियन बने। एक छात्र इंडियन रेवेन्यू सर्विस में है। उन्होंने प्राथमिक विद्यालय सिरसी कटकमसांडी में 17 अक्तूबर 1998 से 29 अक्तूबर 2002, मिडिल स्कूल महुदी बड़कागांव में 30 अक्तूबर 2002 से चार जून 2003, मिडिल स्कूल कोयरीटोला रामगढ़ में पांच जून 2003 से 31 जुलाई 2009, आदर्श मध्य विद्यालय ओरिया सदर में 12 अगस्त 2009 से 30 जनवरी 2017 और आखिरी सरकारी सेवा में मिडिल स्कूल कंडसार कटकमसांडी में 31 जनवरी 2017 से रहे। यहीं से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। तीन दशक का यह दौर निष्कलंक और बेदाग रहा।
उन्हें वर्ष 2011 की उत्कृष्ट जनगणना में भागीदारी और अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति सम्मान, मेडल और सर्टिफिकेट से नवाजा गया। शिक्षक दिवस पर भी सम्मानित किए गए। झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ और गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय मुकुंदगंज हजारीबाग की ओर से भी शिक्षक रत्नेश्वर नाथ पाठक सम्मानित किए गए। उन्होंने सरकारी सेवा में आने से पहले जून 1990 से सितंबर 1994 तक डीएवी पब्लिक स्कूल खलारी, रांची में भी बतौर गणित शिक्षक अपनी सेवा दी। जीवन में कभी विद्यालय विलंब से नहीं गए और न ही वक्त के पहले कभी स्कूल से आए।
जीवन में कभी उन्होंने विभाग को स्पष्टीकरण पूछने का मौका नहीं दिया। अनुशासित जीवन गुजारते हुए पूरी निष्ठा से सरकारी सेवा दी। घर में गुरुकुल की भांति बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी। सभी बच्चों ने बेहतर रिजल्ट देकर उन्हें शुकून भरी गुरु दक्षिणा दी। वह कहते हैं कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। जीवन झंझावतों का संगम है, सबको पार करते हुए मंजिल तक पहुंचना है। शिक्षा से बड़ी कोई पूंजी नहीं, बस ईमानदारी, समर्पण, लगन, सही दिशा में मार्गदर्शन और परिश्रम करना चाहिए, कामयाबी निश्चित रूप से कदम चूमेगी। वह सरकारी सेवा से निवृत्त हो रहे हैं, ज्ञान की रोशनी से दूर नहीं हुए हैं।
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