हजारीबाग। हजारीबाग स्थित एनटीपीसी केरेडारी में कार्यरत डीजीएम डिस्पैच कुमार गौरव की 8 मार्च की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस घटना को आज पाचवां दिन है। इस हत्याकांड के बाद एनटीपीसी कर्मचारियों और अधिकारियों में दहशत है। आलम यह है कि इलाके के विभिन्न कोल ब्लॉक से कोयला तो निकाला जा रहा है पर थर्मल प्लांटों में कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है। हजारीबाग के एनटीपीसी कोल ब्लॉक से देश के 32 अलग-अलग थर्मल पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति की जाती है।
इधर हत्याकांड के बाद मंगलवार को हजारीबाग में डीजीपी अनुराग गुप्ता ने मैराथन बैठक की। इस बैठक में एनटीपीसी के परियोजना प्रमुख फैज तैयब समेत छह वरिष्ठ अधिकारी सहित पुलिस महकमें के आला अधिकारी मौजूद थे। बैठक के दौरान डीजीपी ने भरोसा दिलाया कि एनटीपीसी के पदाधिकारी व कर्मी पुलिस सुरक्षा में कार्यस्थल पर ले जाए जाएंगे। इन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिलेगी। इसके बाद भी कर्मियों को भरोसा नहीं हो पा रहा है।
डीजीपी की मैराथन बैठक की अहम बातें
एनटीपीसी परियोजना प्रमुख फैज तैयब सहित छह सीनियर अधिकारियों के साथ की बैठक एनटीपीसी के पदाधिकारी से उनकी समस्याओं को सुना साथ ही कहा कि एनटीपीसी अधिकारियों को सुरक्षा की गारंटी हमारी जिम्मेदारी है।एनटीपीसी के पदाधिकारी व कर्मी सुरक्षा में ले जाए जाएंगे। पदाधिकारियों के आने-जाने के दौरान पेट्रोलिंग गश्ती से एस्कार्ट किया जाएगा। फतहा में पुलिस चौकी भी बनेगी। हत्याकांड का जल्द खुलासा होगा। कहा- टारगेट में कोई और शिकार डीजीएम गौरव के बनने से इनकार नहीं।
ऑफिस में जमे हैं अधिकारी-कर्मचारी
बैठक के बाद सुरक्षा दिए जाने की बात अभी आश्वासन तक ही है। अधिकारियों और कर्मचारियों को अभी सुरक्षा नहीं दी गई है। ऐसे में सभी पिछले चार दिन से तय समय पर दफ्तर पहुंच तो रहे हैं पर फिल्ड में काम करने नहीं जा रहे हैं। कोल माइनिंग परियोजना हजारीबाग के सेक्रेटरी जनरल विभूति नारायण सिंह कहते हैं कि हम ऑफिस तो आ रहे हैं पर फिल्ड में जाने को लेकर सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं।
घर-परिवार में भी इसे लेकर चिंता लोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि NTPC की तमाम परियोजनाओं का ट्रांजिट कैंप एक ही है तो सभी अधिकारी और कर्मचारी ऑफिस पहुंचते हैं। यहां हम कम से कम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिन के उजाले में घटना हो जा रही है। ऐसे में जहां काम करना होता है वह जंगल का रास्ता है। वहां कैसे जा पाएंगे। एनटीपीसी से कोयले का उठाव बंद है। बीते चार दिन से रेलवे का रैक इसी तरह खड़ा है।
15 करोड़ का नुकसान और 2 लाख टन कोयला डंप
चार दिनों से काम बंद होने की वजह से सिर्फपकरी बरवाडीह कोयला परियोजना में करीब दो लाख टन निकाला गया कोयला डंप हो गया है। देश के अलग-अलग थर्मल प्लांट्स में कोयले नहीं भेजे जा रहे हैं। इस वजह से इन चार दिनों में कंपनी को जहां करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है, वहीं सरकार के खाते में जानेवाली 15.04 करोड रुपए रॉयल्टी का नुकसान हुआ है।
32 थर्मल प्लांट्स को नहीं मिल रहा कोयला
एनटीपीसी के विभिन्न कोल प्रोजेक्ट्स से कोयले का उत्पादन तो हो रहा है पर उन्हें देश के 32 अलग-अलग थर्मल पावर प्लांट में भेजे जाने का काम नहीं हो रहा है। ऐसे में इन प्लांट्स में संकट के बादल छाने के आसार हैं।
जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी के इस समय झारखंड में तीन कोल ब्लॉक हैं। इनमें पकरी-बरवाडीह से हर दिन 45 से 50 हजार टन कोयले का उत्पादन और डिस्पैच होता है। यहां से देश भर के 23 पावर प्लांट में कोयले की आपूर्ति की जाती है। इन प्लांट्स में कोयले की आपूर्ति पूरी तरह बंद है। पकरी-बरवाडीह से हर दिन 45 से 50 हजार टन कोयले का उत्पादन होता है।
चट्टी बरियातू और केरेडारी में भी काम बंद
इसी तरह चट्टी बरियातू कोल ब्लॉक से हर दिन 18 से 20 हजार टन कोयले का उत्पादन होता है। यहां भी डिस्पैच का काम बंद है। इस कोल ब्लॉक से एनटीपीसी के नॉर्थ कर्णपुरा और बाढ़ पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति की जाती है। वहीं केरेडारी कोल ब्लॉक से हर दिन 4 से 5 हजार टन कोयले का उत्पादन होता है। यहां भी उत्पादन पूरी तरह बंद है।
आमतौर पर किसी भी पावर प्लांट में 20 दोनों का कोयल का स्टॉक होता है वहीं कई प्लांट ऐसे भी हैं जहां 5 से 6 दोनों का ही स्टॉक है ऐसे में उन प्लांट में उत्पादन दो से तीन दिनों बाद प्रभावित हो सकता है इसे देखते हुए कोहली की आपूर्ति जल्द शुरू करने की जरूरत बताई जा रही है।
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