रांची। भारतीय राजनीति के संतस्वरूप आदिवासी नेता और भारतीय जनसंघ की मूल वैचारिक परंपरा के जीवित प्रतीक कड़िया मुंडा, इन दिनों गंभीर रूप से बीमार हैं। 23 जुलाई को सांस संबंधी गंभीर समस्याओं के चलते उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रारंभिक अवस्था में उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में रखा गया और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। डॉ. विजय मिश्रा के नेतृत्व में चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बाद अब उनकी स्थिति स्थिर है, किंतु स्वास्थ्यजनित चिंता अब भी बनी हुई है।
उनके स्वास्थ्य समाचार के प्रसारित होते ही, झारखंड की राजनीति में असाधारण हलचल देखी गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं अस्पताल पहुंचकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। नेता प्रतिपक्ष एवं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, रविंद्र राय जो कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष हैं भाजपा के, भाजपा के संगठन मंत्री सहित विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता, और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक लंबी श्रृंखला अस्पताल पहुंची। सोशल मीडिया पर भी शुभेच्छाओं की बाढ़ आ गई। हजारों लोगों ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करते हुए श्रद्धा, कृतज्ञता और सम्मान से भरे संदेश साझा किए।
यह दृश्य महज़ एक बीमार राजनेता के प्रति संवेदना नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में उनके उस दुर्लभ स्थान की गवाही है, जहां न वैचारिक सीमाएं हैं, न दलगत विद्वेष। कड़िया मुंडा की सार्वजनिक छवि, उनकी सादगी, जनजातीय अस्मिता की आवाज़ और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी अनुपम निष्ठा ने उन्हें जनसंघ से लेकर भाजपा और संसद तक एक ऐसी नैतिक शक्ति बना दिया है, जिसकी स्वीकार्यता रंग, वाद और सीमाओं से परे है।
उनके स्वास्थ्य संकट ने एक बार फिर झारखंड की राजनीति को यह याद दिला दिया है कि नेता केवल पदों से नहीं बनते उनके जीवन, आचरण और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण से बनते हैं। कड़िया मुंडा का जीवन इसी जीवन-शैली की जीवंत प्रतिमा है—जहां राजनीति, समाजसेवा और आदिवासी गरिमा का संगम देखने को मिलता है।
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