रांची, विष्णु पांडेय। गुरुवार को झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हो गया। चेन्नई के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। शुक्रवार सुबह विशेष विमान से दिवंगत शिक्षा मंत्री का शव रांची लाया गया। जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी। सीएम सोरेन खुद उनके पार्थिव शरीर को लेने रांची एयरपोर्ट पहुंचे थे।
रांची एयरपोर्ट पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा और एसएसपी किशोर कौशल मौके पर मौजूद रहे। राज्यसभा सांसद महुआ माजी, परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, खिजरी विधायक राजेश कच्छप, झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू सहित कई विधायक और वरीय अधिकारी वहां मौजूद थे।
सीएम सोरेन ने ‘बड़े भाई’ जगरनाथ महतो के पार्थिव शरीर को दिया कंधा
चेन्नई से दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का पार्थिव शरीर रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। यहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्थिव शरीर को कंधा दिया। उनके पार्थिव शरीर को विधानसभा में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। विधानसभा में अंतिम दर्शन के उपरांत दिवंगत जगरनाथ महतो के पार्थिव शरीर को पार्टी कार्यालय लाया जाएगा। पार्टी कार्यालय के बाद उनका पार्थिव शरीर उनके गांव भंडारीदह ले जाया जाएगा। वहां शाम 4.30 बजे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में भर्ती थे महतो
56 वर्षीय झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में भर्ती थे। 2020 में कोविड होने के बाद उनके फेफड़े बदले गए थे। 13 मार्च 2023 को उनको सांस लेने में तकलीफ हुई थी जिसके बाद से उनका इलाज चल रहा था। विधानसभा में वह डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। जगरनाथ महतो 14 मार्च से चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में भर्ती थे। 13 मार्च की देर रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, उसके बाद उन्हें रांची के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बेहतर इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से महतो को 14 मार्च को चेन्नई भेजा गया। उनके स्वास्थ्य में सुधार हो गया था और वह जल्द ही झारखंड लौटने भी वाले थे।
बुधवार रात सांस लेने में हुई थी तकलीफ
बताया गया कि बुधवार देर रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। उसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। तड़के करीब 3:30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो झारखंड में 1932 का खतियान के सबसे बड़े पैरोकार रहे। जब, विधानसभा में खतियान आधारित स्थानीयता का विधेयक पारित हुआ तो उन्होंने खुलकर खुशी जाहिर की।
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