बोकारो, डाॅ अमरनाथ पाठक। इंसान इतना क्रूर और बेरहम कैसे हो सकता है। उसे तो ईश्वर ने बुद्धि, विवेक, सहनशीलता, भावना…क्या कुछ संवेदना नहीं दी है। फिर भी दरिंदगी और वह भी इंसानों के रखवाले, वर्दीवाले। झारखंड के बोकारो सेक्टर-11 में शनिवार को जो भी दृश्य सामने आया, वह कोमल इंसान के रूह को तार-तार कर देनेवाला और रोंगटा सिहरा देनेवाला था। एक लंगूर पर कुछ वर्दीवाले होमगार्ड, सीआइएसएफ के जवान, रेस्क्यू करने आयी वनकर्मियों की टीम और कुछ इंसानों के वेश में हैवान इस कदर ताबड़तोड़ लाठियां बरसा रहे थे कि यह माबलीचिंग की हैवानियत को भी पार कर गया। दरिंदगी की सीमा को भी लांघ गए।
मुझे एक विद्वान मित्र डाॅ अनिल कुमार मिश्र ने वाट्सएप पर इसकी सूचना दी। पड़ताल करने पर मेरी तो रूह बना हो गई। मुझे कोई मिल गया फिल्म का जादू याद आ गया और रोहित बने ऋत्विक रौशन के वह डायलाग कि…मां दुनिया बहुत खराब है…। सबसे बड़े गुनाहगार तो वहां खड़े मूकदर्शक बने वे लोग थे, जो तमाशा देख वीडियो बना रहे थे। उस भीड़ में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था, जो बंदर का रहनुमा बन उसे बचाने के लिए आवाज बुलंद करता। उस पर बेरहमी से बरस रही लाठियों को रोकने की कोशिश करता। धिक्कार है, ऐसे मुर्दों की भीड़ पर…। क्या लोग नहीं जानते कि बंदर को छेड़ने पर काटना, नोचना उसके स्वभाव में है।
फिर उसे भोजन देकर उसे छेड़ा क्यों गया…। तभी तो उसने 15 लोगों को काटा। बस इसी गुनाह के लिए जज बन लोगों और कानून व वन के रखवालों ने आनस्पाट उसे सजा सुना दी। कहां गया पशुओं को बचानेवाला वन्यजीव क्रूरताअधिनियम? कहां गया वन्यजीवों की सुरक्षा की वकालत गिरी ?
थोड़ी तसल्ली मुझे तब मिली जब वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि बंदर के साथ ऐसी क्रूरता करने वालो के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया जाएगा, दोषियों पर कार्रवाई निश्चित है।
जानिए क्या है पूरा मामला, कौन है जानवर, बंदर या इंसानों की शक्ल में शिकार करते भेड़िया…
बोकारो के सेक्टर 11 की एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आई है, यह विचलित करनेवाला तो है ही, ये तस्वीर हमें यह भी सोचने को मजबूर कर रहा कि इनमें जानवर कौन है। बंदर या बेरहमी से सरेआम उसकी पिटाई करनेवाले हैवान की शक्ल में इंसान।
दरअसल पिछले 10 दिनों से इस इलाके में एक बंदर सेक्टर 11 तथा उसके आसपास के गांव में भारी उत्पात मचा रखा था। कई लोगों को काट कर जख्मी भी कर दिया था। तभी से बोकारो इस्पात की सुरक्षा विभाग तथा वन विभाग की टीम इसे पकड़ने में जुटी हुई थी।
कल यह बंदर रेस्क्यू करने के क्रम में वन विभाग द्वारा लगाए गए फंदे में बंदर फंस गया, जबतक वन विभाग की टीम उसे पिंजरे में कैद करती उसके पहले वहां मौजूद लोगों ने लाठी डंडों से बुरी तरह पिटाई कर दी। फंदे में फंस चुके बंदर के साथ लोगो ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं।
इधर लोगों बंदर की पिटाई कर रहे थे तो उस वक्त वहां मौजूद सुरक्षा विभाग की टीम तथा वन विभाग की टीम मूकदर्शक बनी रही, जो बेहद शर्मनाक था। जब बंदर वन विभाग के बिछाए फंदे में फंस ही गया था तो फिर उसके साथ ऐसी क्रूरता व हैवानियत क्यों?
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