हजारीबाग। सूर्य 22 सितंबर की संध्या 6.19 बजे कर्क से मकर रेखा उत्तरी से दक्षिणी गोलार्द्ध पर भ्रमण के दौरान शून्य डिग्री पर पहुंचेगा। इसके साथ ही इक्वीनोक्स (विषुभ या समदिवरात्रि) के सूर्योदय का अद्भुत नजारा 23 सितंबर की सुबह 6.19बजे लोग देख पाएंगे। यह जलविषुभ की खगोलीय घटना है, जिसे भारत के एकमात्र चिह्नित स्थल हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पंकरी बरवाडीह के मेगालिथ साइट से पिछले 25 वर्षों से देखा जाता रहा है। स्थल के खोजकर्ता व शोधकर्ता सह इंटेक के लाइफ मेंबर शुभाशीष दास ने बताया कि हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पंकरी बरवाडीह में ‘वी’ आकार के महापाषाण के बीचोबीच वर्षभर में चार महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं का अवलोकन होता है।
सूर्य जब उत्तरी गोलार्द्ध के अंतिम भ्रमण पर होता है, तो 20-21 जून को समर सोल्सटाइस और 20-21 मार्च एवं 22-23 सितंबर के इक्वीनोक्स के अलावा 21-22दिसंबर के विंटर सोल्सटाइस का नजारा यहां से दिखाई देता है। 22-23 सितंबर को सूर्य की गणना आदिवासियों ने ईसा पूर्व हजारों वर्ष पहले की थी। उनकी आस्था से जुड़ा हुआ भी यह स्थल है। वहां स्थित महापाषाण उनके अध्यात्म, उन्नत खगोलीय और गणितीय ज्ञान का प्रतीक है। वैसे इंग्लैंड के स्टोनहेंज, न्यूग्रेंज, कैलेनिस आदि में इक्वीनोक्स और सोल्सटाइस के सूर्योदय देखने की अतिप्राचीन प्रथा है। शुभाशीष दास ने बताया कि लोहरदगा के भांडरा स्थित एक मेगालिथ को समर सोल्सटाइस के लिए उन्होंने चिह्नित किया है।

हजारीबाग में ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति अब तक सरकार उदासीन रही है। हेरिटेज नष्ट होते चले जा रहे हैं, लेकिन संरक्षण की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है। इंडियन आर्कियोलॉजिकल सोसाइटी के सदस्य शुभाशीष दास कहते हैं कि भारत के एकमात्र चिह्नित इक्वीनोक्स स्थल की सुरक्षा जरूरी है। यहां सरहद पार कई पर्यटक अवलोकन करने आए। ब्रिटेन के मेगालिथ एक्सपर्ट्स एंटनी रॉबर्ट क्रेरार, जर्मनी ड्रेसडेन म्यूजियम की निदेशक मिसेज लीडिया, यूरोपीय यूनियन के अधिकारी ब्रशल्स दंपती फिलिप और गिरा ग्राटियर, इंग्लैंड की दारिया, पिछले साल इंग्लैंड से आए मेगालिथ एक्सपर्ट ह्यून्यूमन आदि ने स्थल को अद्भुत बताया।
लेकिन इस दिशा में अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। हजारीबाग के कई प्राचीन धरोहर इस्को रॉक आर्ट, बानादाग पहाड़ी स्थित कछुआ पत्थर आदि पर भी खतरा मंडरा रहा है। हजारीबाग के बानादाग, चानो, गुड़वा, चतरा के कटिया मुड़ने आदि मेगालिथ साइट्स उचित संरक्षण के अभाव में नष्ट हो गए। पंकरी बरवाडीह मेगालिथ साइट्स को भी असामाजिक तत्वों ने गिरा दिया था। बाद में फिर उसे शुभाशीष दास की गुहार पर ठीक कराया गया।
इक्वीनोक्स की तिथि में परिवर्तन संभव
हर वर्ष इक्वीनोक्स की तारीख में परिवर्तन संभव है। यह जानकारी टाइम एंड डेट डॉट कॉम पर दी गई है। इसमें बताया गया है कि पृथ्वी की घूर्णन गति में बदलाव की वजह से ऐसा होता है। साइट के मुताबिक 2008 में 22 सितंबर को इक्वीनोक्स दिखा। इस वर्ष भी वही तिथि रही। वर्ष 2010 और 11 में 23 सितंबर को जलविषुभ की खगोलीय घटना हुई। वर्ष 1931 में 24 सितंबर को इक्वीनोक्स हुआ था। वर्ष 2303 में भी 24 सितंबर को समदिवारात्रि का नजारा होगा, जबकि 2092 में इक्वीनोक्स 21 सितंबर को ही दिखेगा।
झारखंड के पाठ्यक्रम से लेकर पुणे की रेस्तरां तक में वर्णन
झारखंड के पाठ्यक्रम में हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पंकुरी बरवाडीह इक्वीनोक्स साइट का जिक्र है। हजारीबाग में डीसी बनकर आए आईएएस आफिसर मनीष रंजन ने झारखंड की पाठ्य-पुस्तक लिखते वक्त पांचवीं कक्षा में इक्वीनोक्स का अध्याय रखा। इसमें शुभाशीष दास के शोध की पूरी जानकारी दी गई है। वहीं पुणे के एक रेस्तरां की दीवार पर इसी इक्वीनोक्स की चित्रकारी की हुई है। स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक चर्चाएं तो कई बार हुईं, लेकिन कभी इस इंटरनेशनल साइट के टूरिज्म मैनेजमेंट या डेवलपमेंट पर सार्थक पहल नहीं हुई।
वर्षभर सूर्य की स्थिति
सालभर में सूर्य की स्थिति ऐसे समझिए। संतरा रूपी पृथ्वी पर उत्तरी गोलार्द्ध से दक्षिण गोलार्द्ध एक काल्पनिक रेखा खींची हुई है, जिसका एक छोर उत्तरी छोर कर्क और दूसरा दक्षिणी छोर मकर रेखा है। 22-23 सितंबर को सूर्य शून्य डिग्री पर है, यह जलविषुभ (इक्वीनोक्स) की खगोलीय घटना है। दिन-रात की अवधि 12-12 घंटे समान होगी। तो दूसरे दिन से वह दक्षिणी गोलार्द्ध यानि मकर रेखा की जाता दिखेगा। फिर 21-22 दिस़बर को सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध पर दिखेगा, तब सबसे बड़ी रात और सबसे छैटा दिन होता है। यह विंटर सोल्सटाइस की घटना है। सूर्य फिर वहां से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर यात्रा करते हुए 20-21 मार्च को शून्य डिग्री यानि कर्क-मकर रेखा या उत्तरी-दक्षिणी गोलार्द्ध के बीचोबीच पहुंचेगा।
यह महाविषुभ (समदिवारात्रि) की खगोलीय घटना है। इस दौरान भी दिन-रात की अवधि समान होगी। फिर सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध यानि कर्क रेखा की ओर जाता दिखेगा। 20-21 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध कर्क रेखा के एंड (अंतिम छोर) पर पहुंचेगा। यह समय सोल्सटाइस की खगोलीय घटना कहलाती है। चारों खगोलीय घटनाओं के सूर्योदय का गवाह हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पंकुरी बरवाडीह का मेगालिथ साइट है, जिसे शुभाशीष दास ने वर्ष 2000 में खोजा था। शोध से यह मेगालिथ साइट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाया।