प्रयागराज: ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने संबंधी वाराणसी की अदालत के आदेश तथा सिविल वाद की वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं के कतिपय मुद्दों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट 26 मई को फिर से सुनवाई करेगा।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। साथ ही फैसला आने तक सर्वे कराने के वाराणसी की अदालत के आदेश पर लगी रोक बढ़ा दी थी। फैसला लिखते समय कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर पक्षकारों के अधिवक्ता से स्पष्टीकरण के लिए फिर से सुनवाई का आदेश दिया है।
विपक्षी, मंदिर पक्ष का कहना था कि भगवान विश्वेश्वर स्वयंभू भगवान हैं। वह प्रकृति प्रदत्त हैं। मानव द्वारा निर्मित नहीं हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के एम सिद्दीकी बनाम महंत सुरेश दास व अन्य केस में फैसले का हवाला दिया।
कहा गया कि मूर्ति स्वयंभू प्राकृतिक है। इसलिए प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट की धारा चार इस मामले में लागू नहीं होगी। मंदिर पक्ष का यह भी कहना था कि आदेश सात नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता की अर्जी वाद के तथ्यों पर ही तय होगी।