रायपुर। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से उनका नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के खिलाफ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि जिस असीम दास के पास से रुपये बरामद हुए थे। उसने जेल से अपने हस्तलिखित बयान में कह दिया है कि उन्हें भी धोखे में रखकर फंसाया गया है और उन्होंने कभी किसी राजनेता व उनसे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया। अब ईडी दावा कर रही है कि उसने यह बयान भी वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं।
उन्होंने सवाल पूछा कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपये बरामद किए थे, उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है। इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। भूपेश ने कहा कि हम शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर मेरा व मेरे सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है। उन्होंने कहा कि महादेव ऐप के घोटाले की जांच उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी। वे चाहते थे कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे। छत्तीसगढ़ सरकार की इस जांच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जांच कर रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि ईडी ने जांच को अपराध की बजाय राजनीतिक दबाव व बदनामी का हथियार बना लिया है।
उन्होंने कहा कि महादेव एप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुंचाने का ही रह गया है।
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