रांची। शहरी विकास अभिकरण के निदेशक अमित कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने शहरों में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रूल-रेगुलेशन का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। अब वेस्ट डिस्पोजल से लेकर यूजर्स चार्ज तथा रीयूज पर मंथन शुरू किया गया है। जल्द ही इसे धरातल पर उतारा जायेगा। अमित कुमार मंगलवार को होटल रेडिशन ब्लू में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट विषय पर आयोजित स्टेकहोल्डर्स बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अधिकांश नगर निकायों में या तो सिवरेज या फिर सेप्टेज की योजनाओं पर तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने देश के कई प्रतिष्ठित पीएसयू के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कहा कि हमारी सरकार हर शहरी नागरिक के घर तक पाइपलाइन से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है और इसलिए हम सभी को नि:शुल्क वाटर कनेक्शन दे रहे हैं लेकिन यह कार्य नगर निकायों की आंशिक जिम्मेदारी है और केवल इतना करने से हमारी जिम्मेदारियां पूरी नहीं होतीं।
उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों को सशक्त बनाना है और इसके लिए री यूज प्रणाली को अपनी जीवनशैली में अपनाना पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि हम उपयोग किये गये पानी को रीट्रीट करके उसका उपयोग सेकेंडरी वाटर के रूप में करें। उन्होंने भारी उद्योग में उपयोग होनेवाले फ्रेश वाटर के जगह अधिक से अधिक ट्रीटेड वाटर के इस्तेमाल का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करेंगे और इस पानी से आनेवाले राजस्व से ट्रीटमेंट प्लांट का रख रखाव होगा।
नगर विकास एवं आवास विभाग तथा यूनाइटेड स्टेट्स की संस्था यूएसऐड के संयुक्त तत्वावधान में एक स्टेक होल्डर्स मीटिंग का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न स्टेक होल्डर्स के बीच राज्य सरकार की ओर से लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट और इसके रख-रखाव तथा यूजर्स चार्ज पर बनाये गये एक ड्राफ्ट रेगुलेशन को रखा गया। सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों से उनकी राय मांगी गयी।
इस मौके पर झारखंड सरकार के राज्य शहरी विकास अभिकरण, मेकॉन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एनटीपीसी, यूएसऐड, जुडको लि., सुवासी, केपीएमजी, विश्वस्वराज सहित विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञ शामिल थे। इनके साथ कई और संस्थानों के प्रोफेसर और विद्वान ऑनलाइन माध्यम से जुड़े और अपनी राय रखी।
उल्लेखनीय है कि राज्य के 49 नगर निकायों में हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाना है और उन शहरों में जहां सिवरेज सिस्टम विकसित हो रहा है वहां सभी को नि:शुल्क कनेक्शन देना है, जिन शहरों में सेप्टेज की व्यवस्था है वहां जरूरी संसाधन की खरीद कर देनी है, जिससे वो आवेदन और आग्रह पर सेवा दे सकें।
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