रांची/हजारीबाग। हजारीबाग का जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा इन दिनों सुर्खियों में है। भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में एसीबी की पूछताछ झेलने के बाद जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार अचानक लापता हो गए हैं। शनिवार रात तक वे हजारीबाग एसीबी के दफ्तर में मौजूद थे, वहीं से रिहा होने के बाद से उनका कोई अता-पता नहीं है। अब 36 घंटे से ज़्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अधिकारी, परिवार और जेल प्रशासन सब खामोश हैं।
जांच के बाद अचानक गायब

एसीबी ने अधीक्षक से उस शिकायत के आधार पर पूछताछ की थी जिसमें जेल में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता की गंभीर बातें कही गई थीं। सूत्र बताते हैं कि एक पूर्व बंदी ने ईमेल के ज़रिए जेल के अंदर अवैध गतिविधियों, मोबाइल वसूली और जेल का लोहा बेचने तक के आरोप लगाए थे। पूछताछ के बाद एसीबी ने उन्हें जाने दिया, लेकिन अगले ही दिन से जितेंद्र कुमार का मोबाइल स्विच ऑफ है और वे किसी से संपर्क में नहीं हैं।
प्रशासनिक इंतज़ार और औपचारिकता
हजारीबाग के डीसी कार्यालय ने अब तक इस पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दंडाधिकारी स्तर की अधिकारी मा. देवप्रिया को जेल अधीक्षक का अस्थायी प्रभार सौंप दिया गया है। जेल मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि जितेंद्र कुमार को लेकर कोई निलंबन आदेश जारी नहीं हुआ है और वे अभी तक सेवा में माने जा रहे हैं।
भ्रष्टाचार के बाद जेल में कड़ी निगरानी
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही हजारीबाग सेंट्रल जेल में अनियमितता और रिश्वतखोरी के आरोपों में जेलर सहित 12 कर्मचारियों को निलंबित किया गया था। इसके बाद से जेल परिसर में सघन जांच और कड़ी निगरानी की जा रही है। जेल में बंद कारोबारी विनय कुमार सिंह को विशेष सुविधा दिए जाने का मामला भी इसी जांच से जुड़ा है।
मूल निवासी बिहार के मधुबनी
जितेंद्र कुमार मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले हैं। जेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि वे फिलहाल कहां हैं, इसकी कोई पुष्टि नहीं है। किसी ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी नहीं कराई, जो इस मामले को और रहस्यमय बना रहा है।
सवालों में घिरी चुप्पी
हजारीबाग जेल अधीक्षक की यह गुमशुदगी सिर्फ एक व्यक्ति के लापता होने की कहानी नहीं, बल्कि जेल तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल है। एक ओर एसीबी भ्रष्टाचार की जड़ें तलाश रही है, दूसरी ओर जांच का अहम चेहरा ही गायब हो जाना, प्रशासन की भूमिका पर परदा डाल रहा है। अब सबकी नज़र इस बात पर है क्या जितेंद्र कुमार लौटेंगे, या यह फाइल भी सन्नाटे में दफ्न हो जाएगी।