रांची। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सूर्या हांसदा एनकाउंटर और रिम्स-02 मामले को 11 सितंबर को राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसबा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने रविवार को रांची में संवाददाताओं से बातचीत में इसकी जानकारी दी।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा की पुलिस की ओर से की गई नृशंस हत्या और नगड़ी के आदिवासी रैयतों से राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान-2 (रिम्स 2) के नाम पर हेमंत सरकार की ओर से जमीन छीने जाने को भाजपा ने गम्भीरता से लिया है। पार्टी ने पहले भी सदन से लेकर सड़क तक आवाज बुलंद किया। लेकिन राज्य सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है। इसलिए भाजपा फिर इस मुद्दे को लेकर जोरदार आंदोलन करने जा रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से आगमी 11 सितंबर को दोनों मुद्दों को लेकर राज्य के सभी 216 प्रखंडों में प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम से प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम तय किया गया है।
मरांडी ने कहा कि सूर्या हांसदा की बेरहमी से हत्या की गयी है, जिसे राज्य की पुलिस एनकाउंटर बता रही। दूसरी ओर नगड़ी आदिवासी रैयतों की खेतिहर जमीन राज्य सरकार रिम्स 2 के नाम पर छीन रही है।
उन्होंने कहा कि सूर्या हांसदा एक राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता थे। बोरियो विधानसभा क्षेत्र से वे चार बार चुनाव लड़े थे। अपने घर में वे भवन बनाकर 250 से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को सिर्फ पढ़ाने की नहीं, बल्कि उनके भोजन आवास की भी चिंता करते थे।
मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार में बड़े पैमाने पर खनिजों की लूट हो रही है और यह बात सीबीआई जांच में भी सामने आ रही है। अवैध खनन माफियाओं, दलालों, बिचौलियों ने सूर्या हांसदा को रास्ते से हटाने के लिए सुनियोजित तरीका अपनाया। देवघर जिला के मोहनपुर ले जाकर उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया। उनके शरीर पर पाए जाने वाले बड़े-बड़े धब्बे यह साबित कर रहे हैं और फिर जब उनकी मौत हो गई तो उन्हें गोली मारी गई।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मीडिया तक को घटना स्थल से दूर रखा गया। पोस्टमार्टम के बाद शव को सौंपा गया। पुलिस की ओर से बताए गए तथाकथित एनकाउंटर स्थल पर खून के छींटे भी नहीं पाए गए,जिससे बिल्कुल साफ होता है कि उनकी (सूर्या हांसदा) हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार बताना चाहती है कि पुलिस दोषी नहीं है, तो सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा कर देनी चाहिए।
मरांडी ने कहा कि 1955-56 में तत्कालीन बिहार सरकार ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के लिए भूमि अधिग्रहण किया था। लेकिन रैयतों के जोरदार विरोध के कारण स्वयं मुख्यमंत्री ने नगड़ी आकर किसानों से जमीन नहीं लेने का वचन दिया और फिर किसानों व रैयतों के नाम रसीद भी काटे जाते रहे। लेकिन आज राज्य की हेमंत सोरेन सरकार रिम्स 2 के नाम पर नगड़ी के रैयतों से जमीन लुटने पर अड़ी हुई है। लेकिन रैयत भी संघर्ष में पीछे नहीं। विगत 24 अदस्त को रैयतों ने अपनी ताकत दिखाई है। कंटीले बाड़ को हटाकर हल चलाया। भले पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को इस सरकार ने हाउस अरेस्ट किया हो।
प्रेसवार्ता में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता अजय साह भी उपस्थित थे।
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