द्वारका। गुजरात में द्वारका के नागेश्वर रोड पर रूक्मिण मंदिर के समीप नंदगांव में आहीर समाज की महिलाओं ने रविवार सुबह आठ बजे अखिल भारतीय महारास संगठन के कार्यक्रम में रिकार्ड बनाया। 37 हजार से अधिक महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सज-धज कर आहीराणी महारास किया। देश-विदेश के हजारों लोग इस अनोखे कार्यक्रम के साक्षी बने।
समाज की हजारों महिलाओं ने एक साथ पारंपरिक पहनावा और नवलखी चुंदड़ी के साथ गले में सोने के गहने डालकर इस महारास कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस देखने अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दुबई के लोग पहुंचे। सुबह पांच बजे से लोगों का यहां पहुंचना शुरू हो गया था। सबसे पहले ब्रह्मकुमारी दीदी ने व्याख्यान दिया गया। इसके बाद ग्राउंड में धर्म ध्वजा और तिरंगा फहराया गया।
आहीर समाज की महिलाओं ने महारास गरबा कर रास स्वरूप द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित किया। दावा किया गया है कि द्वारका के आंगन में यह विश्व रिकॉर्ड है। भगवान श्रीकृष्ण का गोपियों के साथ व्रज का रास विश्व विख्यात है। द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण की पुत्रवधु और बाणसुर की पुत्री उषा रास खेली थी। इसके बाद से ही गुजरात में गरबा की शुरुआत हुई।
लोक किंवदंती के अनुसार करीब 550 वर्ष पूर्व कच्छ के व्रजवाणी में आहीर समाज की महिलाओं के साथ श्रीकृष्ण रास खेलने ढोली के रूप में आए थे। इनकी स्मृति में ही महारास का आयोजन किया गया। महारास से पूर्व रात को जागरण किया गया। इसमें मालदे आहीर का लिखा श्री कृष्ण की लीलाओं पर नाटक पेश किया गया। इसके बाद सभीबेन आहीर की ओर से व्रजवाणी रास पेश किया गया। कच्छ से आई महिलाओं ने भव्य बेडारास रचा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के बाद लोक साहित्यकार मायाभाई आहीर समेत आहीर समाज के अन्य कलाकारों ने भव्य डायरा की प्रस्तुति की। आयोजन को यादगार बनाने के लिए द्वारका के जगत मंदिर को रोशनी से जगमगाया गया।
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