कोडरमा, अरुण सूद। विधायक डॉ. नीरा यादव ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन की नियमावली 147 के तहत महत्त्वपूर्ण सूचना विधानसभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने सरकार को बताया कि साल 2011 में कोडरमा में तत्कालिन डीसी ने बिना किसी कारण, वैधानिक प्रतिवेदन के आधार और बिना किसी प्रकार की जांच के मनमाने ढंग से आदेश निकाल कर जिलांतर्गत लगभग 35 हजार एकड़ गैरमजरुआ खास जमीन की क्रय-विक्रय, मालगुजारी, रशीद निर्गत करने, किसी प्रकार की लीज अथवा बैंक में गिरवी रखने पर रोक लगा दी गई। इन कारणों से स्थानीय हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं। रोक लगाई गई सारे जमीन की प्रकृति पूर्व के जमींदारों द्वारा जमींदारी प्रथा खत्म होने के बाद रिटर्न नहीं दाखिल करने का है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को बताया कि इससे सैकड़ों खाता प्लॉट ऐसे भी हैं, जिसमें पूर्व जमींदार द्वारा रिटर्न भी दाखिल है।
साथ ही रैयती जमीन को भी इसमें शामिल कर दिया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि आज तक तत्कालीन डीसी के उक्त आदेश और बाद में सरकार के विभिन्न आदेशों में भी ऐसे मामलों में संदिग्ध जमाबंदी का वाद खोलकर उक्त आदेश से प्रभावित लोगों के मामलों को निरस्त करने को कहा गया है। लेकिन वर्तमान जिला प्रशासन और संबंधित अंचल स्तर से ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं दिया जाना उन प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदन शून्यता प्रतीत होती है। उन्होंने बताया कि इस गंभीर तथ्यों पर सरकार अपने स्तर से समिति का गठन कर मामले का निष्पादन करें और प्रभावित परिवारों को समुचित न्याय दिलाएं।
ये भी पढ़िए……….
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हुए फर्जी FIR की उच्च स्तरीय जांच के लिए उठी मांग