रामानुजगंज, अनिल गुप्ता। रेणुकूट से अंबिकापुर को जोड़ने के लिए नई रेल लाइन के सर्वे के बाद अब मृदा परीक्षण किया जा रहा है। रेणुकूट से अंबिकापुर तक लगभग 155 किलोमीटर की बनने वाली रेल लाइन के लिए नई दिल्ली की एक कंपनी द्वारा मृदा परीक्षण का काम किया जा रहा है। इस कार्य में जहां-जहां ओवरब्रिज बनने हैं और पुलिया का निर्माण होना है, वहां मृदा परीक्षण के लिए जमीन को खोदकर उसके ठोस और नम होने के लिए विस्तार से सर्वे चल रहा है। टेस्टिंग के लिए यहां की मिट्टी को निकालकर टेस्ट के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। इसकी रिपोर्ट आने के बाद तत्काल रेल लाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। टेस्टिंग का काम नई दिल्ली की कंपनी ऐंड्रोशाप को दिया गया है। इसके मद्देनजर कंपनी के लोगों द्वारा इस कार्य को अंजाम दिया जाने लगा है। इसी को लेकर म्योरपुर-दुद्धी मार्ग पर महुआनार के पास टेस्टिंग का काम दो दिनों से चल रहा है। मृदा परीक्षण करने वाले लोगों द्वारा बताया गया कि रोड के दोनों ओर टेस्टिंग का काम इसलिए चल रहा है, क्योंकि दोनों तरफ बड़े-बड़े पिलर बनाकर ऊपर से रेलवे लाइन ले जाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इसी तरह उन्हें अंबिकापुर तक विभिन्न स्थानों पर टेस्टिंग का काम करना है। उन्होंने बताया कि रेलवे के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा उन्हें मोबाइल पर लोकेशन भेज दी जा रही है। उसी लोकेशन पर उन्हें मृदा परीक्षण किया जाना है। ऐसे में यह काम उनके द्वारा लगभग दो माह में पूर्ण कर लिया जाएगा। इस कार्य में पश्चिम बंगाल के श्रमिकों को लगाकर काम को पूरा कराया जा रहा है।
वन विभाग ने रोका मृदा परीक्षण का काम
म्योरपुर। दुद्धी-म्योरपुर मार्ग पर महुआनार के पास रेलवे द्वारा रेनुकूट-अंबिकापुर रेल लाइन के लिए चल रहे मृदा परीक्षण के कार्य को वन विभाग ने मंगलवार को रोक दिया है। वन विभाग का कहना है कि बिना किसी अनुमति पत्र के या एनओसी के वन भूमि पर किसी भी तरह का कार्य नहीं होने देंगे। ऐसे में मृदा परीक्षण के काम को झटका लगा है। काम कर रहे लोगों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा रेलवे के अधिकारियों को काम रोके जाने की जानकारी दे दी गई है। उच्चाधिकारियों द्वारा कहा गया है कि 15 दिन के भीतर रेलवे एनओसी लाकर दे देगा। इस संबंध में रेंजर शहजादा इस्माइलुद्दीन ने बताया कि अभी तक किसी भी तरह का अनुमति पत्र या एनओसी न मिलने की वजह से ही मृदा परीक्षण का काम रोका गया है। उन्होंने कहा अनुमति या एनओसी मिलने के बाद ही काम हो सकता है।