जमशेदपुर : जोनल आईजी पंकज कंबोज ने एसएसपी को निर्देश दिया है कि छेड़खानी का मामला दर्ज होने के बाद आरोपी का नाम गुंडा रजिस्टर में डाला जाए। इससे उनको पासपोर्ट बनाने से लेकर चरित्र प्रमाणपत्र बनाना मुश्किल होगा। इतना ही नहीं, पुलिस धारा 107 और धारा 109 के तहत उन पर हमेशा कार्रवाई करेगी।
आईजी गुरुवार को पहली बार शहर पहुंचे और एसएसपी कार्यालय की सभी शाखाओं का निरीक्षण करने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि छेड़खानी के अलावे शहर में गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर (एनडीपीएस एक्ट) के कारोबार में संलिप्त लोगों का नाम भी गुंडा रजिस्टर्ड में दर्ज होगा।
दस वर्ष से एनडीपीएस एक्ट में दर्ज मामलों में संलिप्त लोगों की निगरानी होगी। वर्तमान में वे क्या कर रहे हैं, इसकी रिपोर्ट बनाकर एसएसपी उन्हें सौंपेंगे। उन्होंने 15 साल से शहर के लंबित 2541 मामलों का निष्पादन 31 मार्च तक करने का निर्देश दिया है।
15 साल पुराने अपराधियों की हर माह लगेगी हाजिरी
आईजी सुबह 11.30 बजे एसएसपी कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने अपराध शाखा के नए कार्यालय का निरीक्षण किया। आधा घंटा निरीक्षण करने के बाद अन्य विभागों में चल रहे कार्यों व वर्तमान स्थिति की जानकारी ली। बैठक में शामिल डीआईजी अजय लिंडा, एसएसपी प्रभात कुमार, ग्रामीण एसपी मुकेश कुमार, सिटी एसपी के. विजयशंकर तथा एएसपी व डीएसपी को दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपने स्तर से थाना, डीएसपी कार्यालय और एएसपी कार्यालय का निरीक्षण कर एसएसपी को उसकी रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके अलावे पिछले 15 साल में लूट-डकैती की जितनी घटनाएं हुई हैं उनके आरोपी वर्तमान में कहां हैं और क्या कर रहे हैं, इसका वेरीफिकेशन कर रिपोर्ट बनेगी। साथ ही 15 साल में नक्सली मामलों से जुड़े नक्सलियों की स्थिति पर भी रिपोर्ट बनेगी।
जो सरेंडर पॉलिसी का लाभ लेकर बाहर हैं वे वर्तमान में क्या कर रहे हैं, सभी की रिपोर्ट बनाकर उनको हाजिरी लगवानी है। रिपोर्ट बनाकर डीसी को भेजी जाएगी जिसके बाद तय होगा कि अपराधियों को हर सप्ताह, हर पखवाड़े या फिर हर महीने हाजरी लगानी है।
नक्सली गतिविधियां कम हुई हैं
आईजी ने कहा चाईबासा को छोड़कर पूरे कोल्हान में नक्सल गतिविधियां जीरो हैं। नक्सल प्रभावित इलाके में पुलिस कैंप कर रही है। पहले नक्सली बाहर निकलते थे, लेकिन पुलिस अब नक्सलियों के गढ़ में जा रही है। जिसके कारण नक्सलियों ने रास्तों में आईईडी बिछा रखी है। पुलिस गश्ती, आम लोग और जानवरों को इससे क्षति हो रही है। जो नक्सली बचे हैं सरेंडर कर सरकार की पॉलिसी का लाभ उठा रहे हैं।
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