कोलकाता: एडिनो वायरस की दस्तक से पश्चिम बंगाल में खतरा बढ़ते जा रहा है. अब तक कई बच्चों की मौत सांस संबंधी संक्रमण के चलते हो चुकी है. हालांकि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक दिन पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया है कि एडिनो वायरस को लेकर चिंता करने की कोई वजह नहीं है.
लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े डरावने वाले संकेत दे रहे हैं. पता चला है कि पिछले दो महीने में 48 बच्चों की मौत हुई है, जिनमें एडिनो वायरस के लक्षण रहे हैं. सर्दी खांसी और तेज बुखार के साथ आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ इस वायरस के संक्रमण के लक्षण हैं. नवजात से लेकर दो साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं.
इनमें से कोलकाता मेडिकल कॉलेज और बीसी राय अस्पताल में इन बच्चों की मौत हुई है. 11 महीने के एक बच्चे ने गुरुवार रात को भी बीसी राय अस्पताल में दम तोड़ा है. परिजनों ने बताया कि सर्दी-खांसी और बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ की वजह से बच्चे को गत रविवार को बीसी रॉय अस्पताल में भर्ती किया गया था. गुरुवार रात आखिरकार उसने दम तोड़ दिया है.
केवल फरवरी में 12 बच्चों की जान गई
जनवरी से लेकर मार्च की शुरुआत तक यह 48वां बच्चा है, जिसकी मौत हुई है. केवल फरवरी में 12 बच्चों की जान गई है. गुरुवार को सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि मरने वालों में से 10 कोमोरबीडीटी के शिकार थे और केवल दो बच्चों की मौत पिछले महीने एडिनो वायरस की वजह से हुई है. ममता ने दावा किया कि मौसम जब बदलता है तो सभी राज्यों में इस तरह बच्चों की मौत होती है.
एक महीने में 5214 बच्चे संक्रमण की चपेट में आए
केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कुछ और कह रहे हैं. इसके पहले गत बुधवार को भी पांच बच्चों की मौत हुई थी. वैसे राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया है कि 600 बालरोग विशेषज्ञ को राज्य के 121 अस्पतालों में तैनात किया गया है. एक महीने में 5214 बच्चे संक्रमण की चपेट में आए हैं. राज्य सरकार ने सावधानी बरतते हुए अस्पतालों में पांच हजार बेड तैयार रखे हैं लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हो रहा. उत्तर बंगाल और जंगलमहल क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली की वजह से और अधिक बच्चों की मौत हो रही है. इसके कारण परिजनों में चिंता है.
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