हजारीबाग। अपना शहर हजारीबाग के लोग इतने संवेदनहीन कैसे हो सकते हैं कि कोई युवक झील में जिंदगी के लिए एक-दो मिनट नहीं, करीब दो घंटे तक जद्दोजहद कर रहा हो और उसे डूबने से बचाने के बजाय उसका वीडियो बनाते रहेंगे। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा, दु:खद और धिक्कार व मानवता को शर्मशार करनेवाली यह घटना हजारीबाग के झील की है। रोज की तरह सोमवार की सुबह करीब आठ बजे बाबूगांव कोर्रा निवासी आलेख कुमार गौरव उर्फ मुन्ना गुप्ता (32 वर्ष) झील भ्रमण के लिए आया। फर्क सिर्फ इतना था कि आज वह किनारे लगी काष्ठ की नाव पर सवार होकर झील के गहरे पानी में चला गया। उसकी किस्मत खराब थी कि एक तो वह तैरना नहीं जानता था और दूसरी ओर नाव में कहीं से पानी भरने लगा। वह बचना चाह रहा था। नाव को खेवते हुए किनारे लाना चाह रहा था। लेकिन वहां इस दृश्य के गवाह बने लोगों ने मजाक और हल्के में पूरे वाक्या लिया। मस्ती के लिए वीडियो बनाते रहे। आलेख दो घंटे जिंदगी के लिए जद्दोजहद करता रहा, लेकिन उसे बचाने के लिए कोई सार्थक और गंभीरता से प्रयास नहीं किया गया। पूरा झील परिसर मूकदर्शक बना रहा। ऐसा नहीं कि उनमें कोई तैराक नहीं था। कैफेटेरिया के सामने नाव पड़े थे। पूरा झील परिसर पुलिस, प्रशासन और न्यायविदों के आवास से घिरा है। लेकिन नियती आलेख को निगल गया। जब वह डूब गया, तब लोगों की नींद टूटी। पुलिस, प्रशासन सब पहुंच गए। दिन के 10 बजे से शाम छह पर घड़ी का कांटा पहुंच गया, लेकिन एनडीआरएफ की टीम नहीं पहुंची। युवक के उतने घंटे पानी के अंदर जिंदा होने की संभावना लगभग क्षीण है। अब टीम आती भी है, तो क्या कुछ हासिल होगा, यह समझा जा सकता है। युवक स्वर्गीय महावीर गुप्ता का पुत्र है जो कोर्रा चौक पर एमके स्टेशनरी चलाता है। उसकी दो साल पहले शादी हुई थी। घर में पत्नी और बूढ़ी मां है।
भीड़ में लोगों की अपनी-अपनी दलील
झील परिसर में लगी भीड़ ने युवक आलेख कुमार गौरव को डूबने से नहीं बचाया, हां अपनी-अपनी दलील जरूर देते रहे। कुछ लोगों का कहना था कि युवक विक्षिप्त था, वह पानी में जाने के बाद नाव से आना नहीं चाह रहा था। कह रहा था कि कमांडो की ट्रेनिंग ले रहे हैं। कुछ लोग कह रहे थे कि पत्नी से विवाद हुआ था, इसलिए उसने आत्महत्या कर ली। दु:खद पहलू यह है कि वह आत्महत्या कर रहा था, तो उसे बचाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया। जो लोग यह दलील दे रहे हैं कि उसे बचाने का प्रयास किया गया, तो कैसे और वह बच क्यों नहीं पाया। शहरवासी अगर ऐसे तमाशबीन बने रहेंगे, तो जिंदगी की सारी उम्मीदें ही खत्म हो जाएंगी। क्या हम किसी को इसलिए डूबता छोड़ देंगे कि वह विक्षिप्त थे अथवा घर से लड़कर झील में डूब रहा है और हम उसे बचाने के बजाय आराम से वीडियो बनाते रहेंगे।
झील परिसर की सुरक्षा भगवान भरोसे
हजारीबाग झील परिसर की सुरक्षा भगवान भरोसे है। यह परिसर नशेड़ियों, पियक्कड़ों और इश्कबाजों का अड्डा बन गया है। पुलिस सिर्फ मोटरसाइकिल रोकने के लिए तैनात है। प्रेस क्लब हजारीबाग के सामने खोमचे के पास नशेड़ियों का अड्डा बना रहता है। ओपेन एमपी थियेटर के पीछे ताड़ी चुलाई और पिलाई होती है। पूरा परिसर इश्कबाजों का सुरक्षित पनाहगार है। पुलिस पेट्रोलिंग सिर्फ दिखावे के लिए है। यह युवक के डूबने की घटना के बाद यहां के स्थानीय लोगों का कहना है। कोर्रा निवासी अनिल गुप्ता और झील में डूबे युवक आलेख कुमार गौरव के परिजनों का कहना है कि यहां नशेड़ियों से इलाके को मुक्त कराने की जरूरत है। एनडीआरफी जैसी टीम हर जिले में होनी चाहिए ताकि तत्काल मदद मिल सके। झील परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने की आवश्यकता है ताकि संभ्रांत परिवार के लोग परिसर में सैर-सपाटे से संकोच न करें।
ये भी पढ़िए……….
झारखंड के बोकारो में मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी सहित आठ नक्सली ढेर