रांची। रांची के सभागार में शुक्रवार की संध्या 5 बजे राज्यपाल की गरिमामयी उपस्थिति में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ। उक्त कार्यक्रम में शिक्षाविद डा. संजय प्रसाद सिंह द्वारा लिखित द्वय पुस्तक क्रमशः अभिप्रेरणा के स्वर तथा खुशी और सफलता का विमोचन व लोकार्पण झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस द्वारा किया गया। पुस्तक विमोचन के पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य प्रो. यदुनाथ पांडेय एवं डा. संजय प्रसाद सिंह समेत प्रकाशक, पत्रकार व समाजसेवी ने राज्यपाल को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, प्रतीक चिह्न प्रदान कर स्वागत किया।
अभिप्रेरणा के स्वर में कुल 75 कविताओं का संकलन
पुस्तक विमोचन व लोकार्पण के पश्चात राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि आपके द्वारा लिखित प्रथम पुस्तक अभिप्रेरणा के स्वर में कुल 75 कविताओं का संकलन है जो आजादी के 75 वर्षों के सुअवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव से जुड़े सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विषयों से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण जानकारियों का समावेश है। मेरी 75 कविताओं का संकलन वास्तव में छात्र – युवा शक्ति और समाज के लिए अभिप्रेरणा के रूप में है। अभिप्रेरणा के स्वर में मानवता व राष्ट्रीयता का लोकार्पण है।
जीवन में खुश रहकर ही सफलता को प्राप्त करना सबसे बड़ी उपलब्धि है: रमेश बैस
खुशी और सफलता के बारे में उन्होंने कहा कि आज परिवार और समाज में प्रायः आंतरिक एवं बाहरी खुशी देखने को कम मिलती है। परिवार के चेहरे पर तनाव देखने को मिलता है। आज के दौर में तनाव जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। वैसे तो तनाव की अचूक दवा हंसी व खुशी है। प्रकृति का अनमोल उपहार हंसी है, जीवन में हंसने से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स का स्तर कम होता है। वैसे तो खुलकर हंसने से चेहरे और गले की मांसपेशियों के लिए उत्तम व्यायाम भी है। उन्होंने कहा कि आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में अधिकांश लोग धन के पीछे, शोहरत व पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए वर्चस्व स्थापित करने की होड़ लगी है। आज जरूरत है समाज के लोगों को सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक गतिविधियों को जीवन में आत्मसात कर सदैव चेहरे पर एक अदद मुस्कान के साथ हंसता मुस्कराता जीवन जीने की जरूरत है। जीवन में खुश रहकर ही सफलता को प्राप्त करना सबसे बड़ी उपलब्धि है। अंत में शिक्षाविद डा.संजय प्रसाद सिंह को राज्यपाल ने बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लेखन कला की अद्भुत क्षमता है, सकारात्मक बदलाव के लिए निरंतर लेखनी चलता रहे। कार्यक्रम समारोप से पूर्व डा. सिंह ने राज्यपाल के जीवन से जुड़े स्वरचित रचना को प्रस्तुत किया और राज्यपाल को सादर समर्पित किया। डा. सिंह ने पुस्तक विमोचन व लोकार्पण हेतु राज्यपाल के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कृतज्ञता अभिव्यक्त किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर यदुनाथ पांडेय, पुस्तक प्रकाशक अभिषेक तनेजा, मुकेश सिंह, विजय जायसवाल, रॉबिन गुप्ता, ब्रजेश पाठक, शिव महतो, जय श्री उपस्थित थे।