बलरामपुर, विष्णु पाण्डेय। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के एक मेडिकल दुकान संचालक की लापरवाही से 8 वर्षीय मासूम की जान बीते शाम चली गई। मासूम की माैत के बाद स्थानीय लाेगाें में शाेक की लहर के साथ-साथ आराेपित के खिलाफ आक्राेश भी है। घटना ने मेडिकल स्टाेर संचालकाें पर कई सवाल खड़े कर दिये है। मेडिकल स्टोर संचालक अपने आप काे एमबीबीएस डाॅक्टर समझ खुद ही ईलाज करने लग रहे है। जिसका खामियाजा मासूमाें काे भुगतना पड़ रहा है। फिलहाल प्रशासन मामले की गंभीरता काे देखते हुए शंभू मेडिकल दुकान के संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। मासूम का हत्यारा अभी भी पुलिस के गिरफ्त से फरार चल रह है। पूरा मामला बलरामपुर काेतवाली क्षेत्र का है।
मिली जानकारी अनुसार, मासूम के पैर में चाेट लगी थी, जिससे पैर के पास घाव बन गया था। जिला मुख्यालय बलरामपुर स्थित शंभू मेडिकल के पास मासूम को परिजन ले गये। वहां संचालक मलहम के बजाये सीधा इंजेक्शन लगा दिया, जिससे मासूम की तबीयत अचानक बिगड़ गई। आनन-फानन में बच्चे को जिला मुख्यालय में जाया गया, जहाँ गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने बच्चे को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया, परंतु इलाज के दौरान मासूम ने दम तोड़ दिया। मासूम के परिजनों का आरोप है कि, यदि मेडिकल संचालक ने जिम्मेदारी से काम किया होता तो यह घटना टाली जा सकती थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन और पुलिस तुरंत मेडिकल दुकान पर पहुंचे और दुकान को सील कर दिया।

स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि, स्वास्थ्य विभाग को ऐसी दुकानों पर अधिक सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि मेडिकल स्टोर और उनकी सेवाएं पूरी तरह से सुरक्षित और प्रमाणित हों। मासूम के परिवार ने प्रशासन और पुलिस से अपील की है कि आरोपित पर कठोरतम कार्रवाई की जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि मामले की पूरी जांच की जा रही है और दोषी को कानूनी प्रक्रिया के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इधर, इस मामले में बलरामपुर एसडीएम अभिषेक गुप्ता ने बताया कि, आरोपित की तलाश जारी है और उसे जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिले में झोलाछाप और अनियमित मेडिकल संचालकों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
जिले में फर्जी झाेलाछाप डाॅक्टर का आतंक
उल्लेखनीय है कि, छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में फर्जी झोलाछाप डोक्टरों की दवा से मौत का यह काेई पहली घटना नहीं है। यहां पर फर्जी झाेलाछाप डाॅक्टराें का आतंक है। फर्जी झाेलाछाप डाॅक्टर बन मरीजाें का इलाज कर उन्हें माैत के घाट उतार कर मेडिकल स्टाेर छाेड़ फरार हाे जाते है। बीते वर्ष नवम्बर माह में भी कुछ ऐसी घटना प्रकाश में आई थी। जहां जिले के शंकरगढ़ में एक मेडिकल स्टोर संचालक ने बवासीर की दवा खरीदने आई महिला का सीधा ऑपरेशन तक कर दिया। ऑपरेशन के दौरान न कोई लेडीज नर्स मौजूद थी और न ही ऑपरेशन के कोई जरूरी सामान। जिससे महिला की तबियत बिगड़ी और अंततः उसकी तड़प कर मौत हो गई। मामला प्रकाश मे तब आता है जब काेई अनहाेनी हाेती है। यह मामला जिले में मेडिकल दुकानों की जिम्मेदारी और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
बलरामपुर जिले में प्रशासन काे कड़ी और ठाेस कदम उठाने की जरूरत है। नहीं ताे हर बार एक मासूम की जिंदगी किसी झोलाछाप डॉक्टर के हाथों छीन ली जाएगी। मेडिकल स्टोर संचालक डॉक्टर के द्वारा दिए गए प्रेस्क्रिप्शन से ही दवा देने का अधिकार है लेकिन खुद डॉक्टर बन उनका इलाज करना यह गैर कानूनी है।
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