हजारीबाग। गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय मुकुंदगंज, हजारीबाग में शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका विषय ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति : चुनौतियां एवं संभावनाएं’ रखा गया था।
बतौर मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी उपेंद्र नारायण ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास में सहायक होगा। इस शिक्षा नीति में अपार संभावनाएं हैं। बच्चों के करियर और भविष्य में आत्मनिर्भर बनने के लिहाज से यह बहुत ही कारगर होगा। नीति को लागू करने में चुनौतियां होती हैं और जो समस्याएं सामने आती हैं, उसका समाधान मिलकर किया जाता है।
बतौर मुख्य वक्ता सह विषय विशेषज्ञ महर्षि परमहंस बीएड कॉलेज रामगढ़ के प्राचार्य जीआर चौरिया ने कहा कि प्राचीनकाल से ही हर शिक्षा नीति से कुछ-न-कुछ बेहतर हासिल हुआ है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भी शिक्षा के क्षेत्र के बदलाव में अपार संभावनाएं हैं। साथ ही सामने कई चुनौतियां भी हैं। वक्त के साथ खुद को अपग्रेड करने की जरूरत है। सभी को मिलकर चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता है। सबसे बड़ी चुनौती संसाधन का अभाव और शिक्षकों की कमी है, जिसे पूरा करने की जरूरत है।
बतौर वक्ता सह विषय विशेषज्ञ जवाहर नवोदय विद्यालय बोंगा, हजारीबाग के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ यूपी सिंह ने कहा कि एनईपी भावी पीढ़ी को तैयार करने की सबसे बेहतर नीति है। इसमें शिक्षकों को यह प्रशिक्षित करने की चुनौतियां हैं कि शिक्षक बच्चों की मनोवृत्तियों को समझ सकें। चूंकि फाउंडेशन स्टेज में ही बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की जरूरत है, ताकि वह आगे किसी भी परिस्थितियों का सामना कर सकें। बच्चों को तीन ग्रेडिंग में बांटकर पढ़ाई में कमजोर बच्चों को रिमेडियल क्लास कराएं।
इससे पहले विषय प्रवेश कराते हुए सचिव मिथिलेश मिश्र ने कहा कि कोई भी नीति बेहतर बदलाव के लिए बनती है। बदलते जमाने के अनुसार खुद को अपडेट करने और उस माहौल में ढलने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) भावी पीढ़ी के लिए मील का पत्थर साबित होगी। नीति को लागू करने में काफी कठिनाइयां आएंगी, जिसका समाधान निरंतर प्रयास करने से होगा। इसीलिए सरकार ने एनईपी का लक्ष्य वर्ष 2040 तक रखा है।
महाविद्यालय प्रबंधन के उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को कारगर करना है, तो इसे ब्यूरोक्रेट्स से मुक्त करना होगा। कई स्वदेशी शिक्षा नीतियां बनीं, फिर भी बापू, भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरुष पैदा नहीं हो पाए। अगर एनईपी ने पूर्व की भांति ऐसे ही महापुरुष पैदा कर दिए, तो समझिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति कारगर हो गई। चूंकि शिक्षा से ही किसी राष्ट्र की पहचान होती है और इसी से ही चरित्र निर्माण होता है। उन्होंने दूसरे देशों की तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर खर्च भी बढ़ाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि शिक्षा को समवर्ती सूची में नहीं केंद्रीय सूची में रखना चाहिए था।
इससे पहले सेमिनार में प्राचार्य अरविंद कुमार, उप प्राचार्य डॉ प्रमोद प्रसाद, सहायक प्राध्यापक डॉ. बसुंधरा कुमारी, डॉ पुष्पा कुमारी, पुष्पा कुमारी, रचना कुमारी और महेश प्रसाद ने भी अपने-अपने विचार रखे।
सेमिनार का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी हजारीबाग उपेंद्र नारायण, मुख्य वक्ता सह विषय विशेषज्ञ महर्षि परमहंस बीएड कॉलेज रामगढ़ के प्राचार्य जीआर चौरिया, जवाहर नवोदय विद्यालय हजारीबाग के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ यूपी सिंह, महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव मिथिलेश मिश्र, उपाध्यक्ष मनोज कुमार और प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
अतिथियों का स्वागत और सम्मान गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सचिव मिथिलेश मिश्र और उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने बुके देकर और शॉल ओढ़ाकर किया।
मंच संचालन प्रशिक्षु सचिन कुमार राणा, मनीष कुमार दास व कशिश राज और धन्यवाद ज्ञापन व्याख्याता लीना कुमारी ने किया। प्रशिक्षु सपना मेहता और बबीता कुमारी ने अतिथियों का तिलक लगाकर स्वागत किया।
मौके पर परमेश्वर यादव, गुलशन कुमार, दीपमाला, अब्राहम धान, दिलीप कुमार सिंह, जगेश्वर रजक, अनिल कुमार, दशरथ कुमार, संदीप खलखो, कनकलता, संदीप कुमार सिन्हा, रूपेश कुमार दास, अंजन कुमार, अखौरी विकास कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार वर्मा, ज्योति हेम्मा एक्का, राजकुमार साव आदि मौजूद थे।